आयुर्वेद की पहली और अकेली आयुर्वेद के मौलिक सिध्धन्तो को मानव शरीर के अन्दर ग्यात करने के लिये तथा शरीर के अन्दर के रोगो को पहचानने के लिये लगभग ३३ साल पहले आविष्कृत किया गया था /
जिस समय आयुर्वेद की इस तकनीक का आरम्भ हुआ और आविष्कार हुआ उस समय से लेकर आज तक यह निदान ग्यान की तकनीक चार तरह के परीक्षणो मे बदल चुकी है /
आवश्यकता के अनुसार और जरूरत के अनुसार रोग निदान और शारीरिक परीक्षणो की जरूरत के अनुसार इन सब तकनीओ का विकास और आविष्कार किया गया ताकि बेहतर से बेहतर आयुर्वेदिक इलाज की सुविधा मुहैया मरीजो को उपलब्ध करायी जा सके /
ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन तकनीक चार हिस्सॊ मे बान्ट दी गयी है , यह किसलिये जरूरी हुआ इसका सन्क्षि[प्त विवेचन निम्नानुसार है /
१- E.T.G. AyurvedaScan ; 33 साल पहले इसका अविष्कार किया गया था , जो अब तक इसी माडल पर चल रहा है /
यह तरीका मैनुअल है और इसके बहुत से मेरिट है / आज कल इस तरह की मशीनो का उत्पादन बन्द हो चुका है और लगभग २० साल से मनुअल मशीनो का मिलना ठप है / दरअसल यह stylus टाइप की मशीने हैं / आज कल इस तरह की मशीन बाज़ार मे नही मिलती है /
मैनुअल और स्टाइलस टाइप की मशीनो की उपयोगिता आयुर्वेद के ई०टी०जी० परीक्शन के लिये बहुत उपयोगी है / इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जब आयुर्वेद के हिसाब से शरीर की मैपिन्ग करते है और इस मैपिन के हिसाब से ट्रेस रिकार्ड किये जाते है , वह रिकार्ड किये गये traces बहुत ही original किस्म के होते है / क्योकि इसमे किसी तरह की editing नही होती है /
मनुअल मशीन से इच्छानुसार और मरीज की आवश्यकता के अनुसार ट्रेस रोकार्ड करके उस हिस्से की जान्च करके और ट्रेस रिकार्ड का अध्ध्य्यन करके पता किया जा स्कता है कि मरीज की क्या दिक्कते है और किस तरह की दिक्कते है / इस तरह से सटीक और अचूक इलाज की व्यवस्था की जा सकती है /
इसमे unlimited trace record की facility होने के कारन यह बहु उपयोगी मशीन हो जाती है /
आज भी मै इस मशीन से ट्रेस रिकार्ड करके मरीज के रोग निदान की भूमिका के लिये इसका उसी तरह उपयोग करता हू जैसा कि मै पिछले ३३ साल से करता चला आ रहा हू /
इसकी अलग से एक रिपोर्ट Trace records का अध्ध्यन करके मरीज को बनाकर दी जाती है / यह ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन का पहला Test का हिस्सा है /
[२] FULLY AUTOMATIC E.T.G. AYURVEDASCAN RECORDER ;
आमतौर पर इस मशीन द्वारा horizontal posture मे मरीज को लिटाकर परीक्षण करते है /
मशीन और इसका software रिकार्ड किये गये traces को computer मे पहुचा देता है जो बाद मे रिपोर्ट बनाने के काम आता है /
[३] TREAD MACHINE E.T.G. AYURVEDASCAN
TREAD MACHINE आयुर्वेदास्कैन की जरूरत तब पड़्ती है जब मरीज के horizontal position मे किये गये परीक्षण से ज्यादा जानकारी को मालूम करने की आवश्यकता होती है / बहुत सी बाते horizontal posture मे स्पष्ट नही हो पाती है इसलिये शरीर की अधिक जान्च के लिये इस टेस्ट की आव्श्यकता होती है /
यह परीक्षण TREAD MACHINE पर मरीज को दौडाकर किया जाता है / दौड़ाने पर शरीर vertical position पर आ जाता है और शरीर के सारे अन्ग फैल करके दौडाने से उतपन्न गरमी और रक्त सन्चार के अधिक होने और इससे पैदा electrical diffusion जब शरीर के VISCERA और मान्स पेशियों मे पहुन्चता है तब इन अन्गो की वास्तविक कार्य क्षमता का पता चलता है जो diagnosis मे बहुत सहायता देती है /
[४] E.T.G. AYURVEDASCAN CONTINUOUS TRACE RECORDING ;
बहुत से मरीजो मे जैसे मिर्गी और दिमागी बीमारियो के रोगी / हृदय और फेफड़ो के रोगी / ग्रभाशय से सम्बन्धित बीमारियां / psychological बीमारियो , रीध की हद्दियों , हद्दियो के जोड़ो और शरीर की उन सभी तकलीफो के लिये लगातार मानीटरिन्ग के लिये जिनके बारे मे पता नही होता कि वे कब और किस समय पैदा हो जाये या उन painless प्राब्लम्स के लिये आवश्यक हो जाता है जिसमे अन्दर ही अन्दर शरीर के बीमारी पनपती जाती है और ऊपर से पता ही नही चलता कि शरीर के न्दर क्या परिवर्तन हो रहे है , इस तरह की तकलीफो मे मरीज को पता ही नही चलता और पता नही होता कि वे कब पैदा हो जाये, इसके लिये यह टेस्ट किया जाता है /
मरीज की कन्टीन्यु मानीटरिन्ग के लिये रोगी को लिटा दिया जाता है और उसकी तकलीफ के अनुसार उन सभी स्थानो पर इलेक्ट्रोड लगा दिये जाते है , जहा और जिस शरीर के हिस्से की monitoring करनी होती है / मरीज जहां बताता है कि उसे कहां कहा और किस जगह तकलीफ है उस सभी हिस्सो का इस विधि से परीक्षण किया जाता है /
ऊपर दिते गये चित्र मे मरीज को लिटाकर और उसके शरीर के जिस हिस्से की मानीटरिन्ग लम्बे कई घन्टे तक करनी होती है , उन हिस्सो मे इलेक्ट्रोड्स लगाकर लगातार मानीटर करते है / जो मरीज लेटकर इस परीक्षण को करने मे सक्षम नही होते है उनको कुर्सी मे comfortable position मे बैठाकर जान्च करते है / सही बीमारी का निदान और उसके सही उपचार के लिये इस तरह की मानीटरिन्ग करना मरीज के हित मे बहुत आवश्यक होता है /
परीक्षण की यह विधि मानसिक रोगियों और उन्माद के रोगियो और depression के रोगियों तथा सभी तरह के भय और चिन्ता और दिमाग की बीमारियो के लिये बहुत उपयोगी सिध्ध हुआ है / Emotional मरीजो मे क्यो इस तरह के उद्वेग पैदा होते है इसका कारण जानने मे यह परीक्षण मदद करता है /
जब बीमारी के मूल कारण का पता चल जाता है तो इस स्तिथि के इलाज के लिये आयुर्वेद मे बड़ी सन्खया मे औषधिया चिकित्सा कार्य के लिये उपलब्ध है जिनके उपयोग से मान्सिक बीमारी चाहे जैसी हो अवश्य ठीक होती हैं /
यह मानीटरिन्ग कम से कम एक घन्टे से लेकर चार घन्टे तक अवश्य की जाती है / इसके बाद अगर जरूरत पड़ती है तो २४ घन्टे या अधिक तक भी परीक्षण करने का प्रयास किया जाता है /
Huge Data बाद मे analyze किया जाता है और फिर निष्कर्ष conclusion निकाले जाते है /
इस प्रकार से ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन तकनीक अब चार भागो मे आवश्यकताबुसार मरीजो की सेवार्थ उपयोग की जा रही है /
यह सारी आयुर्वेदिक रोग निदान की सुविधायें अभी हमारे रिसर्च केन्द्र मे मरीजो के लिये उपलब्ध है /