सर्वाइकल स्पान्डिलाइसिस रीढ़ की हड्डियो और उसकी बनावट के अन्गो की सम्मिलित बीमारी है / गरदन की रीढ की हड्डी की गुरियां या मनका या veretebra की बनावट मे कुदरती तौर पर कुछ फेर बदल हो जाता है या इस फेर बदल के साथ इन अलग अलग छोटी छोटी हड्डियो मे परिवरतन होता है तब इस परिवरतन के कारण जिन्हे pathological या pathophysiological changes कहते है , के कारण से NEURO-MUSCULO-SKELETAL य़ा neuro-skeletal – या musculo-skeletal सम्बन्धित syndromes या लक्षण या लक्षण समूह पैदा हो जाते है /
लक्षण समूह सभी स्पान्डिलाइटिस के मरीजो मे एक जैसे नही होते है / हर मरीज के लक्षन अलग अलग किस्म के और एक्ल या मिश्रित किस्म के होते है /
यह लक्षण य लक्षण समूह निउम्न तरह के हो सकते है ;
[१] चक्कर आना ; कुछ मरीजो को चक्कर आने की तकलीफ पैदा हो जाती है / ऐसे मरीजो को किसी भी तरह की शारीरिक position मे चक्कर आने लगते है / बैठकर उठते हुये अथवा सामने की ओर नीचे की तरफ झुकते हुये, सिर के दाये बाये या ऊपर नी\चे घुमाते हुये, लेटने पर या लेट कर ऊठने पर , सोते समय करवट बदलने पर बैठे हुये या कोई काम करते हुये शरीर को इधर उधर झुकाते हुये , कहने का तात्पर्य यह कि किस position मे चक्कर आने लगे कुछ बताया नही जा स्कता है /
यह चक्कर की स्तिथि दो तीन सेक्न्ड से लेकर कई कई मिनट अथवा कई कई घन्टे तक बनी रहती है / मरीज को ऐसा लगता है कि धरती हिल रही है अथवा पलन्ग हिल रहा है अथवा वह हवा मे उड़ रहा है अथवा वह लुन्ज पुन्ज जैसी हालत मे पड़ा हुआ है / चक्कर की intensity level का पता नही चलता है /
[२] दर्द होना ; बहुत से रोगियो को दर्द होता है / यह दर्द हलका भी हो सकता है और बहुत तेज किस्म का भी / सिर के एक छोटे से हिस्से मे दर्द हो सकता है और यह दर्द पूरे शरीर मे भी फैल स्कता है /
बहुत से रोगियो को गरदन के पीछे किसी भी स्थान मे एक छोटे से हिस्से मे दर्द की अनुभूति होती है और वही तक सीमित होकर रह जाती है और इससे अधिक नही बढती है /
कुछ रोगियो को गरदन के एक तरफ के हिस्से मे दर्द होता है और इस दर्द का फैलाव गरदन के दाहिब्नी तरफ के हिस्से की मान्सपेशियो तक जाता है / दर्द के साथ गरदन की माश्पेशियो मे अकड़न और जकड़्न हो जाती है / इससे गरदन का movement बहुत तकलीफ के साथ होता है /
कुछ रोगियो को दरद गरदन की तरख या गरदन से लेकर सीने की मान्श्पेशियो तथा CHEST MUSCLES तक होने लगता है / किसी किसी को दर्द chest की तरफ न होकर पीठ की तरफ होता है और पीठ की मान्शपेशियो मे दरद और अकड़न तथा जकड़न एकल या मिश्रित रूप मे हो जाती है / ऐसा दर्द कभी कभी गरदन से लेकर पूरी पीठ मे होने लगता है /
किसी किसी कि गरदन मे दर्द न होकर दर्द कमर मे होने लगता है / इसे metastatic pain कहते है या remote pain कहते है / इस तरह का LUMBER REGION pain कभी कभी सरवाइकल के दर्द के कारण होने लगता है /
किसी किसी को दर्द नीचे की ओर न जाकर सिर के ऊपरी हिस्से अथवा नाक की जड़ यानी साइनस की तरफ होने लगता है / यह दर्द ऐसा लगता है जैसे सिर दर्द हो गया है /
किसी किसी रोगी को चेहरे की मान्श्पेशियो मे दर्द होप्ने लगता है / यह दर्द neuralgic pain की तरह का होने लगता है /
३- मान्स पेशियो मे अकड़न और जकड़न किसी किसी रोगी को सिर और गर्दन घुमाने मे माशपेशियो की अकड़न और जकड़न होती है जिसके कारण गरदन के movement मे बाधा पैदा होती है / यह अकड़न और जकड़न पूरी पीठ और सीने मे जब पहुच जाती है तो सारा शरीर movement less होने लगता है /
४- सुन्न पन होना sensation of NUMBNESS ; बहुत से रोगियो के हाथ की उन्गलिया और ऊपर के हाथ सुन्न होने लगते है / एक य सभी उनगलिया इससे प्रभावित होती है /
इस तरह का सुन्न पना सिर और गरदन मे भी होता है / इन जगहो पर सुई चुभोने से भी कुछ दर्द नही होता है /
५- अजीब तरह के sensation ; बहुत से मरीजो मे अजीब तरह के अनुभूतिया होती है / इन अनुभूतियो मे किसी किसी को लगता है कि उसके सिर पर बर्फ जमा हो गयी है / किसी को महसूस होता है कि उसके सिर पर टोपी लगी ह्यी है / किसी को लगता है कि उसका सिर किसी खान्चे मे रख कर द्बा या जा रहा है /
६- सम्मिलित तकलीपे MIXED SENSATIONS ; कुछ मरीज ऐसे होते है जिनको एक तरह की अनुभूति नही होती बल्कि कई तरह के sensations मालूम होते है / किसी किसी रोगी को दर्द क्ले साथ अकड़न और एठन होती है / किसी को एइठन के साथ सिर पर भारी बोझ्ह लादने जैसा महसूस होता है / किसी किसी को दर्द के साथ सुन्न पन होने की शिकायत होती है /

[ X-RAY Plate showing the Cervical spine condition of
a patient with deposition of extra calcium and
enlarged shape of vertebral bone with irregular gaps]
.ऊपर बताये गये लक्षणो के अलावा भी अन्य और बहुत से लक्षण सर्वाइकल स्पान्डिलाइटिस बीमारी मे होते है जिन्हे यहा विस्तार से नही बताया गया है /
फिर भी लक्षण होना एक बात है और निदान ग्यान दूसरी बात है / CERVICAL SPONDYLITIS की बीमारी का निदान X-RAY द्वारा किया जा स्कता है / इसके अलावा CT Scan SCAN द्वारा किया जा स्कता है /
आयुर्वेद की आधुनिक तकनीक ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन द्वारा CERVICAL SPONDYLITIS का निदान किया जाता है / इसके अलावा हमारे यहा विक्सित किये गये कुछ टेस्ट द्वारा पताकिया जा स्कता है कि गरदन की माश्पेशिया और स्पाइन का कितना स्ट्रेस किस साइड का किस वैल्यू का है , इस तरह से नाप करके यह पता किया जा स्कता है कि किस तरफ की मान्श पेशियो कितनी कमजोर या सामन्य है /
.सर्वाइकल .स्पान्डिलाइटिस होने का कारण क्या होता है ?
यह बीमारी गरदन के vertebral column और इसकी बनावट से समबन्धित होती है / बनावट से मतलब हड्डिया और टेन्डन और कार्टीलेज और मान्सपेशियां और खून के दौरान के लिये नस और नाडियां आदि आदि सम्मिलित अन्ग जिनसे मिलकर सर्वाइकल रीजन की बनावत होती है /
मानव शरीर कुदरत का एक बहुत बड़ा अजूबा है जिसे समझने मे समय ही समय लगेगा और उसके बाद भी घूम फिर कर यह पहेली ही बन कर रह जायेगा / इसे कोई समझना चाहेगा भी तो यह सबकी समझ से बाहर होगा और इसी तरह समझने के प्रयास होते रहेन्गे क्योन्कि ऐसा मानव का स्वभाव है / जब हम और हमारे वैग्यानिक यही नही समझ पाये है कि इन्सान चार पाये जैसे जानवर से दो पाये का इन्सान कैसे बना है जो कुदरत का सबसे बड़ा करिश्मा हुआ है जिनसे इन्सान ने तरक्की की राहे खोजी /
सोचिये अगर इन्सान के दो हाथ न होते तो वह क्या इतनी बड़ी तरक्की दुनिया मे कर सकता था ? जब चौपाये से दोपाये मे इन्सान बना तो उसके दोनो हाथ खाली थे और इन्ही खाली हाथो से उसने तरक्की के रास्ते खोले /
बहर्हाल कहने का मतलब यह कि कुदरत ने जिस जिस्म को बनाया है उसमे वही तत्व शामिल है जो प्रकृति मे पाये जाते है /
स्पान्डिलाइटिस होने के कारण मे सबसे पहले गरदन की बनावट मे inflammatory condition का पैदा होना मुख्य है / Inflammation होना एक तरह कॊ pathophysiological और pathological प्रोब्लेम है /


ई०टी०जी० आयुर्वेदस्कैन द्वारा सर्वाइकल स्पान्डिलाइटिस का पता कफ स्थान की रिकार्ड की गयी ट्रेसिन्ग के अध्ध्य्यन करने के बाद निदान कर लिया जाता है कि रोगी को किस स्तर की patho=physiology और किस तरह के लेवल की pathology उपस्तिथि है /
नीचे कुछ प्रकार के स्पान्डिलाइटिस के रोगियो के निदान ग्यानात्मक कम्प्य़ूटराइज़्ड ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन और ट्रीड-मशीन आयुर्वेदास्कैन के specimen दिये गये है /

आयुर्वेद के परीक्षण का आधार आयुर्वेद के सिध्धान्त और आयुर्वेद के निदान ग्यान और आयुर्वेद के चिकित्सा निर्देश तथा आयुर्वेद कि पथ्य वयवस्था और आयुर्वेदोक्त रहन सहन और जीवन शैली के मूल को लेकर डेवलप की गयी है / इस आधुनिक तकनीक ही आयुर्वेद के सान्गोपान्ग आधार को लेकर विकसित की जा रही है / इसी कारण से जब सरवाइकल स्पान्डिलाइटिस की तकलीप का निदान होता है तो यह भी पता चल जाता है कि [१] प्रकृति क्या है ? [२] जन्म के समय दोष किस स्तर के मौजूद रहे है ? [३] जिस समय रोगी का परीक्शण किया गया है उस समय शरीर के दोषो की क्या स्तिथि रही है [४] सप्त धातुओ का क्या स्तर रहा है ? [५] .वात दोष से सप्त धातु किस प्रकार प्रभावित है और पित्त दोष से कितना प्रभावित है और कफ दोष से सप्त धातु का क्या प्रभाव है ? [६] प्रतयेक दोष के पान्च पान्च दोष भेद का कया आनकलन रहा है ? यानी १५ दोष भेद किस स्तर के है [७] तीन प्रकार के मल का क्या स्तर है ? [७] चरकोक्त दोष विकृति का क्या समीकरण बना है ? [८] श्रोतो -दुष्टि किस स्तर की है और कौन कौन से CHANNEL anomalies की स्तिथि पैदा कर रहे है ? आदि आदि बहुत से आयुर्वेद के सिध्धान्त का आंकलन हो जाता है ?
इन सभी आन्कलनो के साथ साथ .शरीर के अन्दर व्याप्त लगभग सभी प्रकार की बीमारियो की उपस्तिथि का पता चल जाता है / यह इस्लिये जरूरी है क्योन्कि जब आयुर्वेदिक दवाओ को मरीज की चिकित्सा के लिये उपयोग करते है तो कम से अकम और अधिक से अधिक प्रभाव करने वाली दवाओ का चुनाव करना बहुत आसान हो जाता है जिससे रोगि के रोग उन्मूलन मे तेजी से सहयता मिलती है और इलाज अचूक और सटीक होता है /
इसके अलावा इअसे यह सहायता मिलती है कि मरीज को किस तरह क प्थ्य पालन और जीवन शैली को अपनाना चाहिये ताकि उसे शीघ्र आराम मिल सके /
स्पान्डिलाइतीस के उपरोक्त रिकार्ड किये गये ट्रेसेस से पता चल जाता है कि चरवाइकल स्थान की स्तिथि किस तरह की है / स्पान्डिलाइटिस की तकलीफ किस स्तर की है और फिर उसी स्तर से द्वओ का चुनाव करते है /
मेरे observation मे कुछ बाते आयी है जिन्हे मै आप सबसे share करना चाहता हू /
[अ] ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन मे जब कफ स्थान से रिकार्ड किये गये ट्रेस severe level के मिलते है तो ऐसे मरीजो को चक्कर और गरदन से लेकर हाथ की उनगलियो के सुन्न होने की शिकायत होती है / अधिकतर ऐसे मरीजो के x-ray findings मे पहला दूसरा और तीसरा cervical vetebra की anomalies present होती है /
[ब] ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन मे Moderate level के ट्रेस मिलते है तो इसमे रोगी की गरदन मे दर्द और सिर मे दर्द और माथे मे दर्जै और यह दर्द कभी कभी नाक के ऊपरी हिस्से मे चला जाता है इस तरह की migrated तकलीफे पैदा हो जाती है / X-ray findings मे ऐसे रोगियो के तीसरा या चौथा या पान्चवां vertebra मे anomalies present होती है /
[स] ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन मे MILD level के ट्रेस मिलते है तो इसमे रोगियो के गरदन से लेकर पीठ तक और ्कन्धे से लेकर सामने रिब-केज की मान्शपेशियो तक दर्द होता है जो movement या आराम करने की स्तिथि मे भी कम नही होता है बल्कि बढता है / X-ray findings मे सर्वाइकल स्पाइन का पान्चवां और छटा और सातवां वर्टिब्रा की बनावट मे परिवरत्न होने के कारण ऐसा होता है /
यह एक तथ्य है कि मानव शरीर का सबसे ज्यादा movement करने वाला अन्ग मानव की गरदन और सिर है / यही सबसे ज्यादा मानव उपयोग मे लाता है /
इस तकलीफ के इलाज के लिये आधुनिक चिकित्सा विग्यान की औषधिया और फीजियोथेरापी का सहारा लिया जा स्कता है /
इसके अलावा आयुर्वेद की चिकित्सा और पन्चकर्म द्वारा इस बीमारी का इलाज किया जाता है /
होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा मे भी इसका इलाज है /
योग और प्राकृतिक चिकित्सा मे भी इसका इलाज मौजूद है /
सर्वाइकल स्पान्डिलाइटिस के मरीजो का इलाज करने के बाद अपने प्राप्त अनुभव से एक बात मै विशेष तौर पर यहां कहना चाहून्गा कि यदि स्रवाइकल के रोगी का सम्मिलित चिकित्सा विधियो से यानी COMBINATION THERAPIES [काम्बीनेशन थेरेपीज से मतलब एलोपैथी और आयुर्वेद और होम्योपैथी और योग और प्राकृतिक चिकित्सा की औषधियो और साधनो का सम्मिलित उपयोग करना] से अगर इलाज किया जाता है तो इसमे पूर्ण अरोग्य अवश्य होता है और जीवन शैली को नियमित करने से यह तकलीफ बिल्कुल ठीक होती है /
इस तकलीफ का होने का कारण आयुर्वेद के हिसाब से कफ दोष की मुख्यतया प्रधानता है जिसमे वात दोष का मिल जाने से उप्रोक्त बतायी गयी बाते पैदा होती है / कफ और वात की चिकित्सा करने से रोग शमन होता है /
ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन आधारित इलाज से CERVICAL SPONDYLITIS की बीमारी अवश्य ठीक होती है /

