FATTY LIVER यानी य्कृत की ऐसी अवस्था जिसमे चर्बी का जमाव लीवर के ऊपर हो जाता है / चर्बी की परत लीवर मे जम जाने के कारण ऐसी स्तिथि को FATTY LIVER कहा जाता है /
यह असामान्य अवस्था है / इस लीवर की अवस्थामे लीवर का कार बढने से लीवर का expansion होता है जिससे लीवर के आस पास के अन्गो पर अनावश्यक दबाव पड़्ता है / जिससे हृदय के रोग और फेप्फद़्ओ के रोग मुख्य रूप से हो जाते है / इस्का कारण यह है कि लीवर का आकार बढने से डायाफ्राम ऊपर की ओर द्वाव बढाता है जिससे केज के अन्गो को जियना cofortable space अपनी गतिविधियो को सम्पन्न करने के लिये आव्श्यक होती है वह नही मिल पाती है .
इससे सान्स फूलना और फेप्फड़ु के रोग तथा हृदय के रोग बनने लगते है / धीरे धीरे जब यह श्रुआत हो जाती है तो शरीर मे चर्वी का सन्तुलन बिगड़ता है / यानी खून मे fat का बढना जिसे कोलेस्तॆरोल कहते है और पेट तथा मान्श्पेशियो मे चर्बी का अधिक जमना शुरु हो जाता है जिससे शरीर बेडौल होने लगता है /
खून मेर्बी बढने से कोलेस्टेराल बढने दे धमनियो की तकलीपे और मष्तिष्क की तकलीफे और गुर्दे की तकलीफे यैयर होने की सम्भावना बनी रहती है /
फैटी लीवर का पया ULTRASOUND अल्ट्रा साउन्ड द्वारा या सी टी स्कैन या एम आर आई जान्च के द्वारा किया जाता है /
अन्य डुसरे रक्त के परीक्षणो से भी जान्च करके लीवर की स्तित्जि का प्ता चल जाता है
आयुर्वद की निदान ग्यान की हाई तकनीक ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन के द्वारा FATTY LIVER का पता चल जाता है / इसके साथ कुछ बाते और पता चल जाती है जैसे लीवर कितना और किस तरह का काम कर रहा है और शरीर के पित्त स्र्हान के अलावा अन्य VISCERA के अन्दर VISCERAL FAT LEVEL किस स्तर का है /
आयुर्वेद के लिये विकसित किये गये रक्त परीक्षण तथा आयुर्वेद के लिये विकसित किये गये मूत्र परीक्षण से यह पता चल जाता है कि लीवर के कार्य करने का स्तर किस तरह का है / PATHOPHYSIOLOGY या PATHOLOGY स्तर का निदान होने के बाद किस तरह की आयुर्वेद की द्वाओ का उपयोग किया जाय इसके निष्कर्ष के बाद FATTY LIVER बीमारी का इलाज सटीक और अचूक हो जाता है /
आयुर्वेद आयुष इला के दवारा FATTY LIVER की बीमारी दवा श्रू करने के एक हते मे काफी आराम मिल जाता है और चालिस दिन के इलाज मे पूरा आरोग्य प्राप्य हो जाता है / लेकिन यह बीमारी दुबारा न हो इसके लिये ६० दिन यानी दो माह तक द्वा लेना चाहिये ताकि तकलीफ दुबारा न हो /
आयुर्वेद और आयुष चिकित्सा मे FATTY LIVER के इलाज के लिये बहुत बड़ी सन्ख्या मे आउषधियो के योग दिये गय है जिनके उपयोग से फैटी लीवर को ठीक किया जा स्कता है /
बहुत से लोगो को यह जानकारी भी नही होती है कि फैटी लीवर का क्या इलाज किया जाये / आयुर्वेद के अलावा होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा मे भी इस बीमारी का बहुत अच्छा इलाज है / जिन्हे फैटी लीवर की बीमारी हो उन्हे आयुर्वेद और होम्योपैथी या यूनानी चिकिय्सा की शरण मे जाना चाहिये /
हरबल औशधियो के साथ साथ आयुर्वेद की मिन्रल हरबल दवाओ अके विभिन्न प्रकार के योगो को उपयोग करके फैटी लीवर की बीमारी अवश्य ठीक होती है /
होम्योपैथी के बहुत से मदर टिन्क्छर लीवर के इलाज मे उपयोगी है इनका उपयोग करके इस बीमारी से आरोग्य प्राप्त किया जाता है . खान पान मे थोड़ी सी सावधानी बरतने से यह बीमारी बहुत शीघ्रता से ठीक होती है
FATTY LIVER लाइलाज बीमारी नही है और इसका इलाज आयुर्वेद और आयुष चिकित्सा मे है और इसे मरीजो को अपनाना चाहिये /
आन्खो अथवा नेत्र रोग वर्तमान युग मे बहुत अधिक देखने मे आरहे है /
आज से कई साल पहले तक आन्खो के रोग और नेत्रो के रोगी देखने के लिये बहुत कम मिलते थे / लेकिन जब से सिनेमा और टेलीविजन और कम्प्यूट्र का उपयोग होने लगा है तब से आन्खो के रोग बहुत बडी सम्ख्या मे पैदा हो रहे है /
ऐसा नही है कि पहले कभी आन्खो रोग जैसा कि आजकल देखने मे आ रहे है , पूर्व मे कभी नही होते थे / यह सभी रोग ठीक उसी तरह से अपैदा हो तहे है जैसा कि हजारो साल से आन्खो के रोग पैदा होते चले आ रहे है /
पहले हमारा ग्यान कम य्जा लेकिन इतना भी कम नही कि उसका कोई उपयोग न हो / आज हमारा ग्यान बहुय अधिक बढ गया है / और अधिक से अधिक जान लेने की चाहत ने जितना भी अधिक से अधिक ग्यान प्राप्त कर रहे है उसके कारण इलाज की स्तिथिया आसान होती जा रही है /
आयुर्वेद मे नेत्र रोगो का बहुत सटीक और पुख्ता इलाज मौजूद है /
आयुर्वेद मे जिस तरह से रोग निदान के लिये लक्षणो का सन्ग्रह करक्वे रोग की पहचान करने के लिये माधव निदान जैसे ग्रन्थो मे बताया गया है और इस तरह से निदान करके उसकी चिकित्सा केव बारे मे चरक और अन्य द्य़्सरे आयुर्वेद के शास्त्रोक्त ग्रब्थो मे उपचार बताया गया है वह यह बताता है कि आयुर्वेद के चिकित्सक किस तरह से मान्व के शरीर की समस्या का समाधान धूब्ढने मे कामयाब रहे थे /
यह केवल नेत्र रोगो मे ही नही है बल्कि अन्य शरीर की सभी बीमारियो के लिये भी है /
आयुर्वेद मे जिस तरह से आयुर्वेद मे मनीषियो ने नेत्र की रचना का उल्लेख किया है और उसकी अनाटामी और फीजियोलाजी को बताया है वह मूल रूप से उसी प्रकार से है जैसा कि आज का चिकिय्सा वैग्यानिक बताता है / फर्क सिर्फ इतना है कि nomenclatures आधुनिक भाषा मे है और मेडिकल भाषा मे है /
आन्खो की बनावट ठीक एक कैमरे जैसी होती है और इसमे कार्य परणाली भी उसी तरह से होती है जैसी की एनालाग कैमरो मे होयी है / यानी कि किसी चित्र का अक्स उल्टा बनना जिसे बाद मे मश्तिष्क द्वारा सीधा दिखाई देने की प्रक्रिया द्वारा सुधारा जाता है /
चित्र और आकार का आन्कलन म्स्तिष्क के द्वारा किया जाता है .जिसे नीचे के चिय्त द्वारा सम्झा जा स्कता है /
आजकाल के समय मे नेत्रो की बीमारिया बढ रही है जिनसे अन्धता की समस्या सामने आने लगी है . इसको रोकने के लिये जिन कारणो से यह समस्या पैदा हो रही है उनके बारे मे समझना बहुत आवश्यक है / बिना कारण के समझे आन्खो की समस्या का निवारण करना युक्ति सनगत नही हो सकता है /
रात मे अधिक जगना और पढने के समय मे अधिक बधोतरी तथा लगातार कई कई घन्टे बिना आन्खो को विश्राम दिये हुये लगातार काम करते रहना और तेज प्तकाश वाली ऐसी मशीनो पर काम करना जिन से बहुत तेज रोशनी निकलती हो / परकाश के तेज श्रोत का नखो पर बराबर पड़ना आदि ऐसे कारण है जिनसे अन्धता की शुरुआत होती है /
यही कारण नही है . इसके आलावा अन्य कारण भी है जैसे की पौष्टिक भोज्न का अभाव और विटामिन तथा मिनरल की कमी और आहार के स्थान पर कोई अन्य खाद्य पदार्थ खाना जिसके कारण नेत्रो को प्राप्त होने वाले वह तत्व न मिल सके जिसके कारण अन्धता पैदा होती है /
आज के हालत मे यह देखा गया है कि छोटी छोटी उमर के बच्चो मे दृष्टि दोश या अन्धापन होने की तकलीफ होना शुरू हो गयी है / बहुत कम उमर के बच्चो मे अन्धापन आने की शिकायत देखकर बहुत आश्चर्य होने लगा है / मैने इसके कारणो को समझने का प्रयास किया है / यह तकलीप बच्चो मे पैदा होने के कई कारण समझ मे आये है जिन्हे मै फिर कभी बताने का प्रयास करून्गा /
आन्धेपन और दृष्टि दोष का आयुर्वेद मे बहुत सटीक और अचूक इलाज है / आयुर्वेद मे नेत्र रोगो के इलाज के लिये बहुत बड़ी सन्ख्या मे दवाओ के योग दिये गये है जिन्हे उपयोग करके अन्धे पन को रोका जा स्कता है / दृष्टि दोष यानी कम दिखाईपड़ने की तकलीफ भी अगर शुरुआत की है तो आयुर्वेद और आयुष की चिकित्सा करने से कम दिखाई देने की बीमारी का निवारण अव्श्य किया जा स्कता है /
मैने कई रोगियो मे आयुर्वेद और होम्यो पैथी द्वाओ के साय्ज साथ विटामिन और मिनरल्सका उपयोग करके अन्धेपन और दृष्टि दोष के रोगियो का सफल उपचार किया है और आयुर्वेद और होम्योपैथी और आधुनिक विटामिन और मिनतल्स की गोलियो द्वारा उपचार किया है जिसके शत प्रतिशत ठीक होने के रिजल्ट मिले है /
आयुर्वेद का इलाज उन तोगियो के लिये भी बहुत सटीक और उपयोगी है जिनकी आन्ख मे LENS implant किया गया है और उसके बाद भी किसी भी उपचार से उनका दृष्टि दोष या नय तकलीफे नही य़्हीक हुयी है ऐसे मरीजो को आयुर्वेद और आयुष और आधुनिक द्वाओ के सम्मिलित उपयोग से अव्ब्श्य ठीक किया जा स्कता है /
मैने पाया है कि बहुत से अधुनिक चिकित्सा विग्यान के practitioners आयुर्वेद की बुराई करते है और यह कहते नही थकते कि आयुर्वेद एक बहुत ही खराब चिकित्सा विग्यान है / मुझे बहुत अफसोस के साथ यहा कहना पड़ रहा है कि यह चिकित्सक बन्धु आयुर्वेद का नही बल्कि अपने पुरखो का अपमान और उनकी दी गयी वैग्यानिक विरासत का अपमान कर रहे है / ऐसे चिकित्सक बन्धुओ को यह समझना चाहिये कि हमारे आपके पूर्वज किस तरह की अनमोल धरोहर हमको आपको सभी को सम्हालने के लिये दे गये है / उन पूर्वजो की आकन्षा यही होगी कि वे जिस ग्यान को देकर इस धरती से हमेशा के लिये विदा हो रहे है वह धरोहर उनकी आगे आने वाली पीढी सम्भाल्कर रखेगी / हो स्कता है हमारे पूर्वजो ने जो भी ग्यान हमको सबको और सारी दुनिया को दिया है उसमे कुछ आज के समय के देखते हुये कमियां हो सकती है और अपूर्णता हो सकती है लेकिन इसका यह कहकर मजाक या मखौल न उड़ाये कि हमारे पूरव्जो बेचकूप थे और हम उनसे ज्यादा अकल्मन्द है / ऐसा कहेगे और करेम्गे तो स्मारे आपके सबके पूर्वजो को मन की आत्मा को ठेस लगेगी / होना तो यह चाहिये था कि आधुनिक चिकित्सा के डाक्टर अगेर हमारे पूर्वजो द्वारा दी गयी विरासत का सम्मन करते हुये उसमे सुधार या उसकी गुणवत्ता को और ज्यादा निखारते जिससे इस विश्व का कल्याण होता /
स्वथ्य स्पर्धा एक बात है और कलुषित स्पर्धा दूसरी बात है / व्यसायिकता की अन्धी दौड़ मे कही हमारे पूरवज खो जाये या उनका ग्यान कही दफन न हो जाये इसे बचाये रकहना हमारी आप सबकी जिम्मेदारी है /
नेत्र रोगो के बारे मे आयुर्वेद के मनीसःइयो ने जो कुछ भी दिया है उसका उपयोग करना हमारा धर्म और कर्म दोनो हॊ बनते है