महीना: अगस्त 2015
पैन्क्रियाज की बीमारिया ; DISEASES OF PANCREAS ; PANCREAS DISORDERS
पैन्क्रियाज की बीमारिया इन दिनो काफी देखने मे आ रही है /
पैन्क्रियाज को semi-hormonal glands कहते है क्योन्कि इसके एक हिस्से का सम्बन्ध हार्मोनल सिस्टम से भी जुड़ा हुआ है / बाकी यह पाचन सन्स्थान का एक महत्व पूर्ण हिस्सा है /
सबसे कामन पैन्क्रियाज की बीमारी इसका inflammation /inflammatory condition का होना माना जाता है /
पैन्क्रियाज का स्थान पेट की थैली के एक्दम नीचे की दीवाल से सटा हुआ जहा पेट के अन्तिम सिरे के तुरन्त बाद छोटी आन्त शुरु हो जाती है करीब करीब उसी स्थान पर व्यवस्थित होता है / इसकी नली जिसे पैन्क्रियाटिक डक्ट कहते है लगभग दो इन्च या तीन इन्च के दर्मियान लम्बाई मे छोटी आन्त के ऊपरी हिस्से से जुडा हुआ होता है / जिसके जरिये यह इन्सुलीन और दूसरे पाचक रस आन्त के अन्दर आवश्यकतानुसार छोड़्ता रहता है /
आयुर्वेद चिकित्सा विग्यान द्वारा प्रतिपादित और अनुमोदित शारीर संरचना और क्रिया शारीर विग्यान AYURVEDA ANATOMY AND PHYSIOLOGY के अनुसार किये गये दोष भेद AYURVEDA AETIOLOGY के हिसाब से यह “पित्त ” श्रेणी मे आता है / आयुर्वेद के दोष भेद AYURVEDA PATHOPHYSIOLOGY के अनुसार इसे “पाचक पित्त” की श्रेणी मे माना गया है और आयुर्वेद का विकृत विग्यान “सप्त धातु ” AYURVEDA PATHOLOGY के अनुसार इसे ” रस धातु ” PRE and POST DIGESTIVE ANABOLIC TO METABOLIC PROCESS AND FURTHER BY STEPS के अन्तर्गत माना जाता है /
जैसा कि चिकित्सा विग्यानियो का मानना है कि पैन्क्रियाज दो तरह की कार्य भूमिका निभाता है / पहला यह कि यह मानव द्वारा खाये गये भोजन के पचाने और उसे विखन्डित करने मे अपनी सक्रिय भूमिका पाचन रस को आन्तो मे मिलाकर कराता है
दूसरी भूमिका इसके इन्सुलीन नामक रस कॊ आन्तो मे छोड़्कर शरीर मे सूगर अथवा शक्कर की मात्रा को नियन्त्रित करता है / हलान्कि यह पैन्क्रियाज का शक्कर कम करने का एक कार्य हिस्सा मत्र है / आधुनिक प्रीक्शणो ने सिध्ध किया है कि शक्कर को कम करने के लिये लीवर और छोटी आन्तो का भी रोल महत्व पूर्ण है /
Acute Panceatitis अथवा Inflammatory condition of Pancreas पैन्क्रियाज की बहुत सामान्य बीमारिया है / इसका प्रमुख कारण रक्त के किसी Infection की वजह हो सकती है लेकिन हमेशा ऐसा नही होता है / कभी कभी खान पान या पानी मे दोष होने से भी ऐसा हो जाता है / कुछ ऐसे भी केसे सामने आये है जिनमे पेट के कीडे आन्तो मे ऊपर की ओर आते गये और पित्त की नली मे या पैन्क्रियाज की नली मे आकर फन्स गये / कहने का तात्पर्य यह की रोग के निदान के लिये वह सभी प्रयास करना चाहिये जो अति आवश्यक हो और यह हर तरह से सम्भव करना चाहिये /
पैन्क्रियाज की सभी तरह की बीमारिया ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन और इसके अन्य परीक्शणो के आधार पर निकलने वाले निष्कर्ष रोग निदान और आयुर्वेद के रक्र और मूत्र परीक्शण के करने के उपरान्त प्राप्त रिजल्ट्स पर आयुर्वेद और आयुष का काम्बिनेशन इलाज करने से अवश्य शत प्रतिशत ठीक होते है ऐसा अनुभव हमारे सनस्थान का है /
सभी तरह की पैन्क्रियाज या इससे सम्बन्धित ्बीमारिया आयुर्वेद की नयी तकनीक ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन और इसके अन्य परीक्षणो के आधार पर किये गये आयुर्वेदिक या आयुष इलाज से अवश्य ठीक होते है /
पैन्क्रियाग उक्त बताये गये चित्र मे ठीक खाने की थैली के नीचे से जुडने बाली शुरू की छोटी आन्त के साथ ही मिला हुआ होता है जैसा कि लाल रन्ग से इसका “सिर यानी HEAD” दिखाई दे रहा है /
उक्त चित्र मे पैन्क्रियाज का खाने की थैली यानी STOMACH के पीछे के छिपे हुये हिस्से को दिखाया गया है / इस हिस्से मे तिल्ली यानी SPLEEN को काले रन्ग से दिखाया गया है / SPLEEN शरीर का एक महत्व पूर्ण अन्ग है इसे बाद मे आयुर्वेद के मन्तव्य से बताने का प्रयास किया जयेगा /
पैन्क्रियाज की सभी तरह की बीमारिया अयुर्वेदिक चिकित्सा से अवश्य ठीक होती है /
AN E-MAIL FROM PAKISTAN . AYURVEDA IS ACCEPTED WORLD WIDE AS A SAFE THERAPEUTIC METHOD FOR HUMAN AILMENT’S TREATMENT
WE RECIEVED OFF AND ON e-mails from foreign lands, mentioning that they like AYURVEDA and its treatment.
Most NRI’s and their foreign friends come for ayurveda treatment almost from every continents every year.
Ayurveda is now widely accepted treatment all over the world. We have received an e-mail from our neighbour from Pakistan, Look the contents of e-mail, which I share with you all.
We can say that all over the world sick huminity desires for a strong alternative treatment methods , which could provide a stable and satisfactory solution of their health condition.
AYURVEDA and AYUSH therapies can provide the solution of the sick huminity by their charecteristics and specified treatment methods.
मिर्गी की बीमारी से जड़ मूल से पूरी तरह से शत प्रतिशत ठीक हो चुके ४९ वर्ष की उम्र के रोगी का रिकार्ड किया गया वार्तालाप डा० देश बन्धु बाजपेयी द्वारा EPILEPSY AND SIEZERS PATIENT CURED BY DR, D,B,BAJPAI ; E.T.G. AYURVEDASCAN AND OTHER AYURVEDA BLOOD AND AYURVEDA URINE EXAMINATIONS BASED AYURVEDA TREATMENT 100 PERCENT CURED CASE
मिर्गी की बीमारी से जड़ मूल से पूरी तरह से शत प्रतिशत ठीक हो चुके ४९ वर्ष की उम्र के रोगी का रिकार्ड किया गया वार्तालाप डा० देश बन्धु बाजपेयी द्वारा
डा० देश बन्धु बाजपेयी द्वारा हमेशा इस बात का दावा किया गया है कि ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन और इसके अन्य विकसित किये गये versions के अलावा आयुर्वेद के रक्त परीक्षण और आयुर्वेद के मूत्र परीक्षणो पर आधारित आयुर्वेद और होम्योपैथी और यूनानी दवाओ के प्रयोग से मिर्गी की बीमारी अवश्य जड़्मूल से ठीक होती है /
अमर पाटन , मध्य प्रदेश के वकील श्री राज नारायण पान्डेय ४९ साल पिछले कई दशक से मिरगी की बीमारी से परेशान थे / हमारे इलाज से यह कुछ महीने मे ही ठीक हो गये /
आप अगर मिर्गी जैसी लाइलाज बीमारी से हमारे द्वारा और हमारे इलाज से पूरी तरह और शत प्रतिशत ठीक हो चुके तोगी से बात करना चाहते है और हमारे इलाज के बारे मे पूछना चाहते है और हमारे मरीज से मिर्गी के इलाज के बारे मे की जाने वाली जान्चो के बारे मे जानना चाहते है तो आप श्री ताज नारायण पान्देय जी से निम्न फोन नमबर पर समपर्क कर सकते है और पूरी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते है /
राज नारायण का मोबाइल नम्बर 09301506158 है
श्री राज नारायण जी हमे आश्वस्त किया है कि उनके पास जानकारी के लिये जो भी फोन आयेन्गे उनका वह उत्तर अवश्य देन्गे/
We have always claimed that EPILEPSY is 100% curable , if treated after the examination of ETG AYURVEDASCAN and its supplementary tests including Ayurveda Blood and Ayurveda Urine examinations.
EPILEPSY is said to be an incurable disease condition. By virtue of our treatment in combination to AYUSH therapies , this disease is 100 percent curable.
See and listen the VIDEO
EPILEPSY ; SIEZERS ; MIRGI ;मिर्गी की बीमारी
YOU CAN SEE OUR RECORDED AYURVEDA AND AYUSH RELATED VIDEOS ON YOUTUBE CHANNEL.
http://www.youtube.com/drdbbajpai
KIDNEY STONES ; WITHOUT ANY KIND OF SURGICAL INTERVENTIONS ; KIDNEY AND URETERS AND URINARY BLADDER STONES IN ANY WHERE AND IN ANY LOCATION IN COMPLETE RENAL SYSTEM IS TOTALLY 100% CURABLE BY AYURVEDA AND AYUSH THERAPIES COMBINATION TREATMENT
Kidney and Ureters and Urinary Bladder Stones / complete Renal system STONES are totally and completely 100% curable by AYURVEDA AND AYUSH and WITHOUT ANY SURGICAL INTERVENTIONS.
Combination treatment of AYURVEDA and HOMOEOPATHY and UNANI remedies melts the stones and turns to break stones into small pieces and then passess with urine stream safely without any problem.
RENAL STONES of any size is curable by AYUSH treatment bases on ETG AyurvedaScan findings and its associated tests and examination of Ayurveda Urine and Ayurveda Blood examinations.
गुर्दे के रोग ; बढे हुये क्रियेटिनाइन के बारे मे मेरा आबजर्वेशन
गुर्दे यानी KIDNEY किडनी कि बीमारिया इस दिनो बहुत देखने मे आ रही है /
सबसे पहले नम्बर पर गुर्दे या किडनी की जो बीमारी है वह बढते हुये क्रियेटिनाइन लेवल की है /
क्रियेटिनाइन के बारे मे मेरा आबजरवेशन यह है कि
[१] सामान्तया क्रियेटिनाइन रक्त मे .४ से लेकर १ मिलीग्राम/ डीएल होता है / कोई कोई लेबोरेटरी वाले सामान्य स्तर कुछ इससे अधिक या कम भी बताते है /
ऊपर बताया गया यह सामान्य लेवल किसी किसी मरीज मे बहुत तेजी से बढता है / ऐसा भी देखा गया है कि यह लेवल प्रत्येक दिन चौथायी से लेकर आधा मिली ग्राम यानी .२५ मिलीग्राम से लेकर .५ मिलीग्राम के लेवल तक प्रतिदिन बढता है /मरीज एक बार परीक्षण कराकर अपना क्रियेटाइन लेवल की माप करा लेते है / वे यह समझते है कि अब यह स्थित स्थिर रहेगी जैसा कि अन्य दूसरे परीक्षनो के बारे मे लोग समझते है /
लेकिन किसी किसी मरीज को ऐसा होना उल्टा साबित होता है
यह लेवल तीन तरह के मरीजो मे अब तक अलग अलग तरह से सामने देखने मे आया है
[अ] कुछ ऐसे मरीज देखने मे आये है जिनका क्रियेटिनाइन लेवल एक अवस्था मे ही बना रह्ता है / यह न घटता है और न बढता है / जब भी रक्त का टेस्ट कराया जाता है क्रियेटिनाइन लेवल वही निकलता है / .१ पाइन्ट से लेकर .३ तक घटता बढता रहता है / कभी कम कभी ज्यादा बस इससे अधिक या कम नही उदाहरण के लिये एक मरीज का क्रियेटिनाइन लगभग चार साल से ३.३ से लेकर ३.५ के बीच मे बना रहता है / ऐसा मशीनी गड़बड़ी के कारण हो सकता है या मरीज जब परीक्षण कराने जाता है उस समय कम पानी पिया गया हो य थका हुआ हो इसके कारण यह हो सकता है /
जब भी टेस्ट किया जाता है यही रीडिन्ग मिलती है / इस तरह के मरीजो मे रक्त की अन्य कोई दूसरी anomalies नही मिलती है / रक्त के दूसरे पैरामीटर सामान्य निकलते है / अक्सर मरीज थकावट या शारीरिक कमजोरी अथवा मान्सपेशियो मे थकावट की शिकायत करते है /
[ब] कुछ ऐसे मरीज है जिनका क्रियेटिनाइन बढता है तो उसके साथ मे उसी अनुपात मे रक्त का SGPT और ALKALINE PHOSPHATE और BLOOD UREA भी बढ जाता है / उदाहरण के लिये अगर मरीज का क्रियेटिनाइन लेवल ५ मिलीग्राम के लगभग है तो SGPT ७६ या कम या इससे अधिक और ALK PHOS 92 कम या इससे अधिक और BLOOD UREA 103 या कम या अधिक हो जाता है / इन मरीजो मे क्रियेटिनाइन बढने की स्पीड धीमे होती है और धीमे धीमे बढती है /
[स] कुछ मरीजो मे देखा है जो क्रियेटिनाइन लेवल को बहुत तेजी से शरीर मे बढाता है और शरीर की हालत को बहुत खतरेनाक स्तिथि मे पहुन्चा देता है / ऐसे मरीजो का हाल खतरनाक लेवल तक बहुत शीघ्रता से पहुन्चने लगता है और फौरी तौर पर आनन फानन मे डायलिसिस की नौबत आ जाती है /
ऐसे मरीजो मे सबसे खराब बात यह होती है कि जैसे जैसे रक्त के अन्दर एक तरफ क्रियेटिनाइन लेवल बढता जाता है तो दूसरी तरफ रोगी का होमोग्लोबिन उसी अनुपात मे कम होने लगता है / इसके साथ साथ ब्लड य़ूरिया भी बढने लगता है / उदाहरण के लिये अगर क्रियेटिनाइन लेवल ४ पर है तो हीमोग्लोबिन का लेवल १० के आस्पास हो जाता है / जब क्रियेटिनाइन ५ के आस्पास होगा तो हीमोग्लोबिन ८ के आस्पास हो जाता है / जब क्रियेटिनाइन ६ के आसपास होगा तो हीमोग्लोबिन ७ के आस्पास हो जाता है / जब क्रियेटिनाइन का लेवल ९ के आस्पास होता है तो हीमोग्लोबिन का लेवल २ के आसपास हो जाता है / ऐसी सिथि मे खून चढाने की जरूरत पड़ जाती है / ब्लड यूरिया भी बढना शुऋ हो जाता है और इस्का लेवल ३०० से लेकर ५०० के आस्पास कम या अधिक लेवल का हो जाता है / जबकि इसका सामान्य लेवल अधिकतम ४० से लेकर ६० तक होना चाहिये /
हमारे यहा गुर्दो की क्रियेटिनीन बढने की इस तरह की बीमारी के इलाज के लिये आये मरीजो के परिणाम पहले और दूसरे लेवल के लिये बहुत उत्साह वर्धक रहे है /
आयुर्वेदिक और आयुष यानी होम्योपैथी और यूनानी दवाओ के कम्बाइन्ड ट्रीट्मेन्ट से मरीजो का क्रियेटिनाइन लेवल का बढना रुक गया और धीरे धीरे क्रियेटिनाइन का स्तर कम हुआ लेकिन यह सामान्य स्तर तक नही पहुन्च पाया और २.५ तक ही बना रहा है / किसी किसी मरीज के इलाज मे यह स्तर बहुत धीमी गति से नीचे आता है / इलाज के दर्मियान खान पान मे और जीवन शैली मे बदलाव जैसा परहेज करने की हिदायते दी गयी है / इससे मरीजो का क्रियेटिनीन बढा नही बल्कि धीमे धीमे कम की तरफ आता है / लेकिन स्तर सामन्य लेवल को नही छूता है , यह देखने मे आया है /
लेकिन तीसरे स्तर के मरीजो के इलाज मे बहुत अच्छे परिणाम नही मिले है / इसका कारण मेरे एनालाइसिस से कुछ इस तरह निकल कर सामने आता है /
क्रियेटिनीन बढने के साथ साथ खून का कम होना या खून का कम बनना और हीमोग्लोबिन का लेवल इस कारण से कम होना यह अवश्य इन्गित करता है कि हीमोग्लोबिन बनाने कि प्रक्रिया मे कही न कही गड़बड़ी पैदा होती है / यह दो वजह से होता होगा / पहला बोन मैरो मे किसी तरह की विकृति और दूसरा हड्डियो के सन्धि स्थल मे बदलाव का होना /
इसी कारण से इस तरह की क्रियेटिनीन लेवल के बढने वालो रोगियो को मलेरिया बुखार या टाइफाइड बुखार जैसे लक्षण पैदा हो जाते है / जिन मरीजो को इस तरह की शिकायते हुयी है उनका कहना था कि उनको मलेरिया का इलाज किया गया और फिर टायफाइड का लेकिन उनको आराम नही मिली उलटे महीने दो महीने बाद उन्की खून की जान्च करायी गयी तो क्रियेटिनीन बढा हुआ मिला और जब यह पता चला तो एक दो हफ्ते मे ही क्रियेटिनीन बढकर हाई लेवल १० से १३ तक पहुन्च गया और फिर डायलिसिस की नौबत आ गयी /
इस तरह के मरीजो के ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन के परीक्षण करने पर spleen and pancreas and liver and gall bladder and small and large intestines की विकृतिया सामने आयी है / यह cumulative problems homostatically पायी गयी है / Digestive system and autonomic nervous system and neuro-musculo-skeletal systems के involve होने का पता चलता है / हर मरीज के individual लेवेल के data आते है और उन्ही डाटा का एनालिसिस और सिथेसिस करके आयुर्वेद और आयुष दवाये प्रेस्क्राइब की जाती है /
इस तरीके से इलाज करने से ऊपर बताये गये दो लेवल के रोगियो को अवश्य क्रियेटिनीन लेवल बढने से रुक जाते है /
हमारा प्रयास लगातार तीसरे लेवल के मरीजो को फायदा पहुचाने के लिये रिसर्च लेवल पर चल रहा है / इसमे हमे आन्शिक सफलता भी मिली है / लेकिन अभी हमारा प्रयास जारी है कि किस तरह से ऐसी स्तिथि कि बढने से रोका जा सके अथवा इसके बढने की स्पीड को कम किया जा सके /
रायबरेली, उत्तर प्रदेश मे आयुर्वेदिक चिकित्सालय ” भारत रत्न राजीव गन्धी स्मारक आयुर्वेद शोध सन्स्थान , भोजपुर , रायबरेली रोड, रायबरेली, उत्तर प्रदेश” का उद्घाटन दिनान्क १२ जुलायी २०१५ को किया गया
रायबरेली जनपद, उत्तर प्रदेश मे दिनान्क १२ जुलाई २०१५ को भारत रत्न राजीव गान्धी स्मारक आयुर्वेद शोध सन्स्थान का उद्घाटन पूव विधायक श्री अशोक सिन्घ द्वारा किया गया / उद्घाटन के इस मौके पर एक चिकित्सा का शिविर लगाया गया था जिसमे वैद्य विनय श्रीवास्तव और डा० अनुराग बन्धु बाजपेयी और वैद्य सुनील अवस्थी और श्री सुशील अवस्थी आदि वैद्य गण शामिल हुये /
डा० देश बन्धु बाजपेयी द्वारा मरीजो का परीक्षण आयुर्वेद की नयी शोध की गयी तकनीको के द्वारा किया गया / लेटेस्ट तकनीक E.T.G AyurvedaScan Bio-matrix and Visual monitor द्वारा आन दि स्पाट गम्भीर मरीजो का निदान किया गया और आयुर्वेद के मौलिक सिध्धान्तो के आधार पर सबका इलाज किया गया /
सन्स्थान की स्थापना का उद्देश्य इस पिछडे क्षेत्र मे उच्च स्तर की रोग चिकित्सा और रोग निदान समस्त लोगो को अत्यन्त सस्ते अथवा नि:शुल्क उपलब्ध कराने का है/
रायबरेली उत्तर प्रदेश की सन्सदीय सीट से कान्ग्रेस अध्यक्ष श्री मती सोनिया गान्धी एम०पी० प्रतिनिध्व करती है /
डा० देश बन्धु बाजपेयी प्रत्येक रविवार को इस सन्स्थान मे आकर मरीजो की मशीनो द्वारा सारे शरीर का नि:शुल्क और फ्री परीक्षण अत्यन्त आधुनिक मशीनो द्वारा करते है और तदनुसार निदान करके औषधिया प्रेस्क्राइब करते है / सन्स्थान द्वारा बहुत कम कीमत पर और लागत मूल्य पर औषधिया मरीजो को दी जाती है /
इस क्षेत्र मे लाइलाज बीमारियो के मरीज बहुत बड़ी सन्ख्या मे है /
नीचे उद्घाटन के अवस्रर पर ली गयी तस्वीरो का अवलोकन पाठक गण करे /
शिविर का उद्घाटन पूर्व कान्ग्रेस पार्टी के एम०एल०ए० विधायक श्री अशोक सिन्घ द्वारा किया गया था / नीचे के चित्र मे श्री अशोक सिन्घ का परीक्षण डा० डी०बी० बाजपेयी द्वारा नई आविष्कार की गयी तकनीक ETG AyurvedaScan Bio-matrix and Visual Monitor द्वारा किया जा रहा है /
……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….सभी तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियो को जिनको लाइलाज बता दिया गया हो इन सभी बीमारियो का इलाज आयुर्वेद की नयी आविष्कार की गयी रोग निदान और सारे शरीर की जान्च करने वाली तकनीक और इससे प्राप्त परिणामो के आधार पर इलाज करने से रोग शत प्रतिशत अबश्य ठीक होते है /
“चरक सन्हिता ” पर प्रसिध्ध आयुर्वेद के विद्वान वैद्य अनन्त बी० धर्माधिकारी के लेक्चर्स का आयोजन प्रत्येक मन्गल वार को सुनिये
श्री धूत पापेश्वर , मुम्बई द्वारा आप्तोपदेश अन्तर्गत चरक सम्हिता का विवेचन कराया जा रहा है /
चरक समहिता आयुर्वेद का महान ग्रन्थ है और इसके विवेचना के लिये बहुत निष्णात और एक्स्पर्ट अनालिस्ट की जरूरत होती है तभी चरक द्वारा लिखे गये सूत्र वाक्यो का स्पष्ट विवेचना समभव है /
आयुर्वेद को समझना है तो चरक समहिता को समझना होगा /
श्री धूत्पापेश्वर ने इसके लिये प्रत्येक मन्गल्वार को दिन ३.३० से लेकर ४.३० तक व्याख्यान माला की शुरुआत की है
सभी आयुर्वेद के प्रेमियो और आयुर्वेद के चिकित्सको को इस व्याख्यान माला मे हिस्सा लेकर लाभ उठाना चाहिये /
“स्वास्थ्य पुस्तिका ” वर्षा रितु विषेशान्क २०१५ ; प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि / दवा निर्माता धूत पापेश्वर, मुम्बई द्वारा प्रकाशित
आयुर्वेद मे बताया गया है कि स्वास्थय की रक्षा के लिये किस तरह की दिन चर्या रात्रि चर्या और रितु चर्या का पालन करना चाहिये ताकि शतायु यानी सौ वर्ष जीवन जीने का लक्ष्य कैसे प्राप्त किया जा सके ?
प्रसिध्ध आयुर्वेद की दवा बनाने वाली कम्पनी श्री धूत पापेश्वर प्रायवेट लिमिटेद , मुम्बई दवारा समय समय पर उपयोगी और ग्यान वर्धक साहित्य बहुत थोडे शब्दो मे यानी गागर मे सागर जैसी जानकारी सभी देश वासियो को अपने आयुर्वेद के चिकित्सको के माध्यम से विस्तारित करते है /
नीचे वर्षा रितु मे क्या करना चाहिये और क्या नही करना चाहिये इसके बारे मे पुरी जानकारी दी गयी है /
पाठक लोग स्कैन की गयी प्रकाशित पुस्तिका के पेज को पढकर लाभ उठाये /
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मुख्य मन्त्री , उत्तर प्रदेश सरकार माननीय श्री अखिलेश यादव जी का आयुर्वेद के चिकित्सको को ऐतिहासिक और अभूत पूर्व आधुनिक औषधियो एलोपैथी की दवाओ के प्रयोग का अधिकार देने के लिये हार्दिक और कोटिश: बधाई
समाज वादी पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य की सरकार के नेतृत्व मे माननीय मुख्य मन्त्री ्श्री अखिलेश यादव ने आयुर्वेद के चिकित्सको को आधुनिक औषधियो के उपयोग और आधुनिक एलोपैथी दवाओ को रोगियो अथवा मरीजो को प्रेस्क्राइब करने के अधिकार को देने के लिये आयुर्वेद समाज और आयुर्वेद के प्रेमियो और आयुर्वेद के चिकित्सको तथा यूनानी चिकित्कीसा के प्रैक्टीशनर हकीमो की ओर से राज्य सरकार को बहुत बहुत कोटिश: बधाई /
यह आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सको के लिये गर्व का दिन होना चाहिये और समाज्वादी पार्टी के मुखिया माननीय मुलायम सिन्घ जी को धन्यवाद देना चाहिये जिन्होने यह एतिहासिक निर्यण करके मानव जीवन को बचाने और रुग्ण मानवता की सेवा करने तथा उत्तर प्रदेश के शहरी और ग्रामीन अन्चल के रोगियो को तवरित आराम देने और उनको बेहतर किस्म की चिकित्सा सुविधा मुहैय्य कराने का अभूत पूर्व निर्णय किया है /
यहा उल्लेख करना चाहून्गा कि माननीय श्री मुलायम सिह जी ने जब वह मुख्य मन्त्री थे तब उन्होने आयुर्वेद और यूनानी तथा होम्योपैथी चिकित्सा के लिये अलग अलग विभाग और उनके अलग अलग डायरेक्टॆरॆट बना दिये थे / इससे पहले यह सभी चिकित्सा पध्धतियां एलोपैथी के डायरेक्टर के अन्डर मे थी / जिसके कारण यह सभी चिकित्सा पध्ध्यतिया उचित सवरूप मे विकास नही कर पा रही थी और बहुत बहुत बहुत उपेक्षित अवस्था मे थी /
तत्कालीन मुख्य मन्त्री श्री मुलायम सिन्घ जी ने यह निर्णय \लेकर सबको चौका दिया जब उन्होने यह घोषणा की कि सभी डाक्टर एक समान है और डाक्टरो मे कोई मतभेद नही होना चाहिये / उनका स्टेटस एक जैसा होना चाहिये / कान्ग्रेस सरकार के जमाने मे विडम्बना यह थी कि एलोपैथी के डाक्टरो की तन्खाह सबसे ज्यादा थी और उनको सुविधाये भी सबसे ज्यादा दी गयी थी / आयुर्वेद और होम्यो पैथी के डाक्टरो की तनखाहो मे जमीना समान का फरक था / हकीमो यानी यूनानी डाक्टरो का बड़ा पुरसा हाल था / कान्ग्रेस सरकार ने इन सभी डाक्टरो के लिये कुछ भी नही किया और सबके सब पुरसाहाल की स्तिथि मे पड़े हुये थे /
माननीय तत्कालीन मुख्य मन्त्री श्री मुलायम सिन्घ ने दूसरा काम यह किया कि सभी चिकित्सा पध्ध्यतियो के डाकटरों के लिये एक समान वेतन और एक समान वह सारी सुविधाये दी जो एलोपैथी के डाक्टरो को मिलती थी और सभी डाक्टरो को जितना मिलना चाहिये थे वह सब कुछ मुलायम सिन्घ जी ने किया / श्री मुलायम सिन्घ जी बधायी के पात्र है और इस मामले मे वह प्रसिध्ध समाजवादी नेता श्री राम मनोहर जी लोहिया के एक कट्टर अनुयायी साबित हुये जो हमेशा ही समाज वाद और समान्ता की बात किया करते थे /
वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया माननीय अखिलेश यादव जी इस एतिहासिक निर्णय के लिये बधायी के पात्र है / सम्भवता: पूरे देश मे इस तरह का कोई कानून किसी भी राज्य सरकार ने आयुर्वेद या होम्योपैथी या यूनानी के डाक्टरो को अभी तक नही दिया है /
उत्तर प्रदेश सरकार इस कारण ऐसा अधिकार देने के लिये सबसे अव्वल नम्बर पर और नम्बर वन गयी है /
जो काम देश के प्रधान मन्त्री मोदी को करना चाहिये था , वह काम उत्तर प्रदेश की स्ररकार ने सबसे पहले कर दिखाया है /
वैसे तो यह अधिकार एक रेखा तक सीमित है / फिर भी यह ठीक लगता है / लेकिन मुझे इसमे एक कमी लगती है वह यह कि ग्रामीण क्षेत्र मे कभी कभी किसी मरीज को सेलाइन अथवा ग्लूकोज चढाने की जरूरत पड़ जाती है और जान बचाने के लिये या एमर्जेन्सी जैसी अवस्थाओ मे यह आवश्यक होता है / इसलिये मै यह जरूर माननीय अखिलेश यादव जी से प्रार्थना करून्गा कि अपरिहार्य स्तिथियो मे यानी जब ऐसी स्तिथि आ जाय कि मरीज की जान बचाने के लिये जब डाक्टर मरीज को अस्पताल भेजने के लिये तैयारी करे और एम्बूलेन्स आने मे देर लगे या जिला अस्पताल मे भेजने के लिये बन्दोबस्त करने मे समय लगे तो ऐसी एमर्जेन्सी स्तिथि मे आयुर्वेद के डाकटर या हकीम को यह अधिकार देना चाहिये कि एमरजेन्सी या अपरिहार्य स्तिथियो मे सेलाइन या ग्लूकोज चढाने के लिये अधिकार देना चाहिये लेकिन यह रिस्ट्रिक्सन भी होना चाहिये कि ग्लूकोज या सेलाइन के साथ मे किसी किस्म की कोई दवा मिलाकर न दिया जाये /
मुझे विश्वास है कि मुख्य मन्त्री कुछ रिस्ट्रिक्सन्स के साथ इस तरह का अधिकार अवश्य देन्गे /
अक बात और कहून्गा कि अभी तक होम्योपैथी के डाकटरो को ऐसी सुविधा नही मिली है / इनके बारे मे भी सीमित अधिकार देने के लिये सोचना चाहिये / उदाहरण के लिये तेज दर्द दूर करने के लिये दवाओ का उपयोग और तेज बुखार को कम करने के लिये दवाये, कुछ खास किस्म की एन्टीबायोटिक दवाये इनकी जरूरत पड़ जाती है / इस तरह के अधिकार देने से चिकित्सा विग्यान का महत्व बढता है और यह सब रिसर्च के लिये बहुत आवश्यक है /
मै उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया माननीय अखिलेश यादव जी को बधाई देता हू कि उन्होने यह एतिहासिक कात्य करके आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा को बचा लिया और इसमे नवजीवन सन्चारित कर दिया है /