कुछ दिन पहले एच०आई०वी० से infected एक मरीज का ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन और इसके तत्सम्बन्धित परीक्षण किये गये /
मरीज की उम्र देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ क्योन्कि उसकी उमर के वल २१ साल की है / रोगी के रोग इतिहास को जानने की इछ्छा हुयी और मैने उत्सुकतावश उससे सारी तकलीफ बताने के लिये कहा / रोगी के साथ उसके गार्जियन भी थे /
मुझे यह मालूम करना था कि इतनी छोटी अवस्था मे इस नवयुवक को क्यो H.I.V. जैसा सन्क्रमण हुआ है /
जैसा मुझे बताया गया कि इस रोगी का ROAD accident हुआ था / इस दुर्घटना के बाद उसे अस्पताल मे भरती कराया गया था जहां इस रोगी को कुछ लोगो का रक्त चढाया गया था / इन्ही रक्त दाताओ मे कोई भी व्यक्ति एच०आई०वी० से इन्फेक्टेड होगा इसीलिये जब इस रोगी को रक्त चढाया गया तो इसके भी HIV Infection पैदा हो गया /
कुछ दिनो तक तो इसको जो तकलीफे हुयी उससे इलाज कर रहे डाक्टर यह समझ ही नही पाये कि इसे बीमारी क्या हो रही है ?
जब प्रदेश के एक चिकित्सा सन्स्थान मे इस रोगी को दिखाया गया तो सारी जान्च करने के बाद पाया गया कि इसे HIV Infection है /
कुछ दिनो तक HIV का इलाज करने के बाद इस रोगी का खून जब फिर टेस्ट किया गया तो पता चला कि इसे टी०बी० यानी ट्यूबर्कुलोसिस का भी infection साथ साथ है /
कई साल तक इलाज करने के बाद भी इस रोगी को जब कोई माकूल इलाज नही मिला और इसकी तकलीफे नही ठीक हुयी तब इसको किसी हमारे यहा से इलाज करा चुके रोगी ने इलाज के लिये हमारे केन्द्र मे जाने की सलाह दी /
मैने इसका ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन और अन्य तत्सम्बन्धित टेस्ट किये और जड़ मूल की diagnosis करके इस केस की अनालाइसिस की गयी /
नीचे दिये गये ट्रेस रिकार्ड मे आयुर्वेद के मौलिक सिध्धन्न्त यथा वात और पित्त और कफ दोष का शरीर मे कितनी उपस्तिथि है इसको जानने के लिये शरीर मे निश्चित किये गये points की mapping के स्थान का रिकार्ड किया गया है / ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन इलेक्ट्रो त्रिदोष ग्राफी मशीन के जरिये लिये गये ट्रेस रिकार्ड HORIZONTAL POSITION य़ा SUPINE POSITION मे ही किये जाते है /
इस मरीज का यह रिकार्ड ऊपर बतायी गयी शारीरिक स्तिथि मे की गयी है / ट्रेस रिकार्ड मे OBSERVATION से पता चला है कि ;
[१] रोगी को त्रिदोषज यानी सन्निपातिक यानी वात और पित्त और कफ तीनो दोषो का मिश्रित AETIOLOGY मौजूद है /
[२] वात स्थान और पित्त स्थान और कफ स्थान की रिकार्डिन्ग pattern सीधी straight line मे न होकर अर्ध चन्द्राकार और गोलाकर ZIG ZAG PATTERN मे है /
यह तभी होता है जब electrical diffusion रुक रुक कर आता है और यह एक जैसा नही होता है / ELECTRICAL DIFFUSION अगर रुक रुक कर आते है और रिकार्ड होते है तो यह एक तरक की शारीरिक anomaly होती है , इसके कई मायने आयुर्वेदिक सिधधान्तो के हिसाब से interpret किये जाते है /
यह तय किया गया कि इस रोगी को त्रिदोषज व्याधि है /
मरीज की व्याधि का और अधिक और pin point सुस्पष्ट निदान ग्यान का अध्ध्य्यन करने के लिये इस मरीज का TREAD MACHINE E.T.G. AYURVEDASCAN परीक्षण किया गया /
TREAD MACHINE मे दौडाकर परीक्षण करने से मरीज का शरीर VERTICAL POSITION मे होता है / इससे शरीर के सारे viscera फैलते है और उनमे रक्त सन्चार अधिक बढता है / ELECTRICAL DIFFUSION की गति बढती है जिससे शरीर के अन्गो की वास्तविक कार्य क्षमता pathophysiology और pathology जो HIDDEN STAGES मे होती है , वह सब उभर कर सामने आ जाती है /
नीचे उन्ही सब स्थानो का रिकार्ड किया गया है जो ऊपर के स्थानो मे रिकार्ड करके प्राप्त किया गया है / नीचे के रिकार्ड का पाठक अवलोकन करे /
[१] वात स्थान का रिकार्ड देखने पर पता चलता है कि यहां की रिकार्ड की गयी ट्रेसेस शरीर की गर्मी से बाधित है और अन्दरूनी accumulated heat जितनी normal condition मे exhaust होना चाहिये , ऐसा नही हो पा रहा है /
[२] Electrical diffusion की स्तिथि उसी तरह की है लेकिन इसका लेवेल अधिक है जैसा कि horizontal position मे है /
[३] पित्त और कफ स्थान के रिकार्ड देखने से पता चलता है कि इस रोगी को LIVER & PANCREAS & SPLEEN इन तीनों की CUMULATIVE problem है / यह कितना कितना और किस स्तर का है यह measurement के बाद ही पता चलता है /
LUMBER REGION से लिये गये रिकार्ड से पता चलता है कि बड़ी आन्त और छोटी आन्त दोनो की कार्य विकृति उपस्तिथि है और उनमे IRRITABLE BOWEL SYNDROMES तथा INFLAMMATORY CONDITION OF BOWELS उपस्तिथि है /
……………………………
…………………………………
अन्दरूनी गले और दोनो फेफड़ो का परीक्षण करने के बाद पता चला है कि इसके फेफड़ो मे विकृति है / फेफ्ड़ो की विकृति को जान्चने के लिये चार से अधिक स्थानो का मुख्य रूप से परीक्षण करते है / इसके अलावा रक्त का परीक्षण करके पता करते है कि शारीरिक क्षय की स्तिथि कैसी है और chemical chemistry किस तरह की है /
रोगी का पहले ही परीक्षण हो चुका था और उसकी diagnosis establish की जा चुकी थी /
लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिये इस तरह के परीक्षण की एक सीमित सहायता निदान के लिये मिलती है /
सन्निपातिक अथवा त्रिदोषज रोग के लिये वात क्षीण और पित्त अति बृद्द और कफ अति क्षीण अवस्था का मरीज के अन्दर उपस्तिथि मिला है / इस तरह के COMBINATION से यह मदद मिलती है कि किस तरह की औषधियो का चयन और कैसा management मरीज का होना चाहिये /
पित्त की अति ब्रध्धि को शान्त करने के लिये उपयुक्त औषधियो का चयन किया गया है और रोगी को आयुर्वेदिक दवाओ को खाने के लिये prescription दिया गया है /
H.I.V. और TUBERCULOSIS से ग्रसित इस रोगी को आयुर्वेद की चिकित्सा करने से अराम मिला है /
यह establish करने का आयुर्वेद चिकित्सा विग्यान को एक evidence base मिला है कि एच०आई०वी० के रोगी का इलाज “सन्निपातिक” या “त्रिदोषज” आधार पर करना चाहिये / इससे एच०आई०वी० रोगी की चिकित्सा और इलाज करने मे अवश्य सफलता मिलती है /