एलर्जी यानी एक तरह की Sensitivity शरीर के अन्दर पैदा हो जाती है जिससे कई तरह की शारीरिक बीमारिया जिनमे त्वचा और फेफड़ो और ENT के अलावा mucous membranes से सम्बन्धित कुछ निदानात्मक और UNDIAGNOSED SYNDROMES पैदा हो जाते है / यह किसी भी कारण से हो सकती है और कब किस तरह की तकलीफ हो जाये , इसका कोई भरोसा नही होता है / इस बीमारी के कारण के बारे मे कुछ भी विश्वास के साथ नही कहा जा सकता है कि यह बीमारी होने का असली कारण क्या हो सकता है ?
फिर भी कुछ मरीजो के उपचार करने के बाद जिस तरह से मरीज ठीक हुये उनके उदाहरण नीचे दिये जा रहे हैं /
१- एलर्जी से पीडि़त इस मरीज का उदाहरण शायद अब तक इस बीमारी का इलाज करने वाले सभी मरीजो मे बहुत अजूबा किस्म का है / यह बहुत interesting है और इसीलिये मै इसे आप सबके साथ शेयर कर रहा हूं / यह अलेर्जी का रोगी विवरण एक महिला का है जिसके पति भारतीय सेना मे अधिकारी थे/ लगभग ३० साल पहले का यह केस है , उस समय मै होम्योपैथिक मेडिकल कालेज कानपुर मे लेक्चरर था और होम्योपैथिक छात्रो को कालेज और अस्पताल मे पढाता था / इस दौरान मै होम्योपैथिक फैकल्टी आगरा विश्व विद्यालय आगरा और कानपुर विश्वविद्यालय , कानपुर का EXAMINER भी रहा था / इस समय ETG AyurvedaScan तकनीक बहुत शैशव अवस्था मे थी और इसका बहुत अच्छा development नही हुआ था /
भारतीय सेना के इस अधिकारी की पत्नी को बहुत भयन्कर किस्म की एलर्जी हो गयी थी जिसका इलाज देश के उस समय के सर्वोत्तम चिकित्सा सन्सथानो मे किया जा चुका था / मरीजा का इस बीमारी का इलाज लगभग १० महीनो से चल रहा था / लेकिन इलाज करने के बाद भी रोगी को किसी किस्म की आराम नही मिल रही थी बल्कि तकलीफ बढती चली जा रही थी जिससे परिवार के लोग बहुत परेशान से थे / इस अधिकारी के एक जूनियर अफसर ने सलाह दी कि जब एलोपैथी के इलाज से नही फायदा मिल रहा है तो क्यो न होम्योपैथी या आयुर्वेद का इलाज किया जाना चाहिये ? यह अधिकारी अपने बच्चो का इलाज मेरे से ही कराता था / उसने सलाह दी कि डाक्टर बाजपेयी GERMAN RETURN है और वही से homoeopathy पढकर आये है तो क्यो न उनसे सलाह लेकर इलाज किया जाये ?
मरता क्या न करता वाली हालत थी, अपने जूनियर अफसर की सलह मान कर रोगी को इलाज के लिये मेरे दवाखाने मे लाया गया / मरीज को देखकर मै थोड़ा परेशान हुआ कि यह कैसे जिन्दा है ? रोगी के इतनी भयन्कर खुजली सारे शरीर मे हो रही थी कि दो आदमी उसको खुजली से राहत देने के लिये खुजली वाली जगह को सहलाते रहते थे / रोगी कि तव्चा एक दम लाल और छोटे छॊटे दानो से भरी हुयी थी / उसका सारा शरीर सूजा हुआ था /
मैने इससे पहले एलर्जी का इतना भयन्कर मरीज कभी नही देखा था / हलान्कि अब तो इससे भी ज्यादा intensity level के मरीज देख चुका हू और उनका इलाज कर चुका हूं/ बहरहाल मैने उनसे कहा कि एक हफ्ते मे यह ठीक हो जायेन्गी , जैसा कि मेरा उस समय का अनुभव था /
एक ह्फ्ता के बाद भी इस रोगी किस्तिथि जस की तस रही और इसे एक प्रतिशत भी आराम नही मिला / मैने कहा कि कभी कभी ऐसा होता है कि आराम नही मिलती थोड़ा अधिक समय भी लगता है , maltreated cases मे ऐसा होता है / इस तरह करते करते एक माह बीत गया और इसे एक प्रतिशत भी आरम नही मिली /
अब मै परेशान हुआ कि आखिर बात क्या है ? इतनी अच्ची से अच्छी दवाये देने और उपचार करने के बाद भी आराम न मिलना क्या बताता है ? यह किस ओर इन्गित करता है ? क्या बीमारी का निदान गलत है ? या बीमारी मे दी जाने वाली दवाये सही नही है और उनका चुनाव गलत है ? या खान पान और जीवन शैली मे कोई गड़बड़ी है ? सवाल बहुत सारे थे /
मुझे याद है यह रविवार का दिन था , होम्योपैथी के छात्र और छात्राये अपनी Case files को जन्चवाने के लिये मेरे दवाखाने मे आये थे / उसी समय यह रोगी भी आ गयी / मैने सभी उपस्तिथि होम्योपैथी के छात्रो को इस रोगी के बारे मे details के साथ बताया और कहा कि इस केस को explore करे /
लगभग चार घटे तक माथा पच्ची करने के बाद भी कुछ नही पता चला कि बीमारी की क्या वजह हो सकती है / Practice of medicine की किताबो तथा दूसरी अन्य किताबो का खूब खुलकर reference लिया गया लेकिन कोई नतीजा नही निकला / मै हैरान और परेशान हुआ कि अब क्या किया जाये / मै भी किताबे पलट रहा था /
किसी चिकित्सक ने एक पुस्तक मे यह लिखा था कि ” एलर्जी उस वजह से भी होती है जिसने BIRTH CONTROL के लिये PESSARY का उपयोग किया हो / ” मैने बहुत हताशा के साथ रोगी के पति से कहा कि फैमिली प्लान्निन्ग के लिये अगर पेसरी का इस्तेमाल करते है तो इससे भी एलर्जी होती है “/
यह सुनते ही वह बोला कि पेसरी तो मैने नही लगवायी है अलबत्ता LOOP जरूर लगवा रखा है / मैने कहा कि इसे जितनी जल्दी हो सके हटवा दे यह ठीक हो जायेन्गी /
दूसरे दिन मरीज शाम को आया वह २४ घटे मे ही ९५ प्रतिशत ठीक हो चुकी थी / लूप हटवाने के लिये वह डाक्टरो के पास तुरन्गत गया और इसे हटते ही मरीज की खुजली तथा अन्याय परेशानिया जैसे जैसे समय बीतता चला जा रहा था वैसे ही वैसे वह ठीक होती चली जा रही थी / यहां इस केस मे यही समझ मे आया कि एलर्जी पैदा होने का कारण वह लूप था जिसके कारण reproductive organs मे anomalies पैदा हुयी और उसके कारण यह तकलीफ हुयी/ allergens किस तरह से पैदा हुये और कहा कहा किस तरह पहुचे इसके बारे मे कभी बाद मे चर्चा की जायेगी /
२- दूसरा केस एलर्जी का है जो एक male रोगी का है / इसको एक certain period मे एलर्जी होती थी / इसने बताया कि इसको एलर्जी शाम को होती है / लेकिन कभी कभी नही भी होती है / समस्या यह थी कि इसे detect कैसे किया जाये कि किस कारण से allergy हो रही है / बहरहाल इसे दवा दी गयी लेकिन इसे एलर्जी होती रही, कभी कभी नही होती थी इससे यह अन्दाजा लगा कि कुछ ठीक है लेकिन जब फिर दुबारा होने लगी तो सोचना पड़ा कि मूल कारण क्या हो सकता है ?
इस रोगी को यह सुझाव दिया गया कि यह बहुत सतर्कता के साथ अब watch करना शुरू करे कि उसके किस व्यवहार या काम करने के तरीके या खान पान के बाद तकलीफ होती है / मरीज ने इस सुझाव पर ध्यान देना शुरू किया / वह अपनी life style और खान पान पर ध्यान देने लगा / उसने यह observe किया कि जब वह शाम को एक हलवाई के यहां बनने वाले स्पेशल समोसे खाता है तो उसके २० मिनट बाद उसको एलर्जी होने लगती है /
इस सूचना से यह तो साबित हुआ कि उसको समोसे खाने के बाद allergy होती है / लेकिन समोसे तो सभी खाते है और शायद ही किसी को ऐसी तकलीफ होती हो , इसलिये मरीज को सलाह दी गयी कि वह दो दिन किसी दूसरी दूकान से समोसे खाये और देखे कि उसको allergy हुयी या नही /
दूसरे हलवाई की दूकान से समोसे खाने के बाद उसको allergy नही हुयी / उसने फिर पहले वाले हलवाई के समोसे खाये , इससे उसको फिर दुबारा allergy पैदा हुयी , इससे यह पता चला कि जब वह पहले की दूकान से समोसे खाता रहा तो उसको allergy हुयी और जब दूसरी दूकान से समोसा खाया तो नही हुयी / इससे यह अर्थ निकला कि पहले बाले दुकान का समोसा बनाने मे जिस मसाला या वस्तु का उपयोग किया जा रहा है तो उसी मे कोई ऐसी ingredient है जो allergy पैदा कर रही है /
इसी बीच मे उसको खान्सी की तकलीफ हुयी मैने उससे कहा कि एक चम्मच अदरख के रस मे एक चुटकी सेन्धा नमक मिलाकर दिन मे दो बार सेवन करना है / इस अदरख और सेन्धा नमक के मिलेजुले पदार्थ के सेवन करने के बाद लगभग १० मिनट बाद इस रोगी को allergy पैदा हो गयी / उसने फोन पर यह जानकारी दी कि उसको मेरे बताये गये मिक्सचर से एलेर्जी पैदा हो गयी है / इससे यह बात सिमट कर आ गयी कि इसे या तो अदरख से एलेर्जी हो रही है या फिर सेन्धा नमक से /
मैने हिदायत दी कि वह एक दिन सेन्धा नमक अकेला अलग से लेकर तीन – चार ग्राम चाटे और दूसरे दिन लगभग ५ से १० ग्राम अदरख चबाकर खाये / मरीज ने दी गयी हिदायत को पालन किया और उसने बताया कि सेन्धा नमक चाटने के बाद उसे किसी प्रकार की तकलीफ नही हुयी / लेकिन अदरख खाने के बाद उसको allergy पैदा हो गयी / इससे यह स्पष्ट हुआ कि अदरख के कारण इसको एलर्जी पैदा हो रही थी /
मरीज से कहा गया कि वह अदरख का सेवन न करे / बाद मे पता चला कि हलवाई जिसके यहा समोसा बनता था उसमे वह समोसे के अन्दर भरने वाले ्द्रव्य यथा आलू मटर और अन्य मसाले के साथ साथ समोसे का स्वाद बढाने के लिये “अदरख” का खास तौर पर उपयोग करता था / यह समोसा सैकड़ो ग्राहक रोजाना खाते थे लेकिन किसी को भी ऐसी तकलीफ नही हुयी ऐसा मरीज द्वारा पता करने के बाद मुझको बताया गया / अब इसी मरीज को क्यो allergy हुयी इस technical विषय के बारे मे फिर कभी चर्चा विस्तार के साथ करून्गा /
३- तीसरा केस भी बड़ा अजीब सा है / एक मोटर मेकैनिक को एलर्जी हुयी और वह इलाज के लिये आया /
इसने बताया कि इसको allergy रात मे होती है जब वह सोने जाने लगता है और उस समय जब वह अपने कपडे उतारता है और बाहर की हवा लगती है / एलेर्जी होने से जिस खुजली की तेजी का वह सामना करता है वह बहुत असहनीय होता है / तमाम इलाज करने के बाद भी उसकी एलर्जी नही ठीक हुयी /
मुझे शक हुआ कि कही इसको BLOOD SUGAR तो नही हुई है या फिर गुर्दा से सम्बन्धित कोई बीमारी पैदा हो रही हो या फिर लीवर से समबन्धित कोई तकलीफ हो / मैने मरीज को सलाह दी कि वह पहले अपने खून की जान्च कराये और दूसरे परीक्षण यथा अल्ट्रासाउन्ड और एक्स-रे आदि भी साथ मे करा डाले ताकि पता चले कि इसको किस तरह की तकलीफ अन्दर से डेवलप हो रही है / ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन की जान्च इस समय developmental stage पर थी /
मरीज ने सारे परीक्षन करा डाले लेकिन उसके सभी परीक्षण NORMAL निकल आये / मरीज इस बात से परेशान था कि उसको तो तकलीफ हो रही है और वह अपनी बीमारी से परेशान और हैरान है लेकिन उसके सभी TEST यह बता रहे है कि उसको कोई बीमारी ही नही है ? मरीज बहुत गुस्से और चिन्तित अवस्था मे हो गया /
अब यह सोचने की बात मेरे लिये थी कि ऐसी स्तिथि मे क्या किया जाये ? मैने विचार किया कि इसका x-ray और ultra-sound तथा खून आदि के परीक्षण NORMAL: भले ही निकल आये हो लेकिन कुछ है तो जरूर जो इसको बीमार बना रहा है / ई०टी०जी० परीक्षण उन दिनो विकास की अवस्था मे था / मैने सोचा कि इसका E.T.G. test करके देखा जाये शायद कुछ मिल जाये / इस मरीज का ETG test किया गया / E.T.G. परीक्षण को उस समय Electro Tridosha Graph/ Graphy Test के नाम से जानते थे / इसे short मे E.T.G. बाद मे कहा जाने लगा / E.T.G. के short name से बहुत से Test और सन्स्थाये बनी हुयी है / INTERNET पर देखने से पता चला कि ETG के नाम से सैकड़ो TEST और सन्स्थाये अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बनी हुयी है इसमे एक Ethnic Terrorist Group भी है / ऐसा नाम देखकर मै खुद बहुत परेशान हुआ / यह देखकर मेरे होश फाख्ता हो गये / बाद मे मैने निश्चित किया कि इस्का नाम बहुत स्पष्टता के साथ होना चाहिये इसलिये इस TEST का पूरा नाम E.T.G. Ayurveda Scan कर दिया गया /
ETG Test के अध्ध्यन से पता चला कि इस रोगी को Epigastritis है और छोटी तथा बड़ी आन्त मे inflammatory condition उपस्तिथि है / पेट की जान्च करने से सूजन तथा दर्द की शिकायत सामने आयी / मरीज को रात मे तकलीफ होती थी लिहाजा यह समझ मे आया कि इसके शाम के कार्य कलापो के बारे मे ्समझा जाये / इसलिये मरीज के शाम की activities के बारे मे उससे जानने की कोशिश की गयी /
उसने बताया कि दिन भर काम करने के बाद वह रात की जैसे ही शुरुआत होती है वह दारू की बोतल लेकर बैठ जाता है / दारू पीने के बाद वह खाना खाता है / भोजन मे veg के साथ non-veg भी खाता है , सलाद और अचार और कच्ची मूली और प्याज आदि भी खाता है /
मरीज को कहा गया कि वह एक दिन दारू के साथ वेज खाना खाये और दूसरे दिन दारू के साथ नान वेज खाना खाये और एक दिन बिना दारू के वेज खाना खाये और दूसरे दिन बिना दारू के नान वेज खाना खाये /
यह सब करने के बाद मरीज ने बताया कि दारू के साथ और बिना दारू के उसने जब वेज खाना खाया तो उसको कोई एलर्जी नही हुयी / लेकिन नान वेज खाने से उसको दारु के साथ और बिना दारू के भी एलेर्जी हो गयी /
अब यह तो establish हो गया कि मामला food का है जो non-veg है / पूछने पर पता चला कि नान वेज खाने मे वह मछली और गोश्त पसन्द करता है /
मरीज से कहा गया कि वह एक दिन गोस्त खाये और दूसरे दिन मछली खाये / उसने ऐसा ही किया /
अगली बार वह जब आया तो उसने बताया कि गोश्त खाने से उसे कोई तकलीफ नही हुयी लेकिन जिस दिन खाने मे मछली खायी गयी तो उसको एलर्जी पैदा हो गयी / इससे यह निष्कर्ष निकला कि इस मरीज को मछली खाने से एलर्जी हो रही है /
क्या वजह रही है जिससे मछली खाने से एलर्जी पैदा हुयी यह विवेचना बाद मे करेन्गे ?
4- यह तो रहा मरीजो का विवरण लेकिन इस तरह के सैकड़ो मरीजो का उपचार करने के बाद यह पता चला कि allergy होने के अन्य बहुत से कारण होते है /
खाने मे अचार और सिरका और मूली और मिर्चा और लाल मिर्चा [काली या सफेद मिर्च नही] तथा कुछ मसालो के खाने से किसी किसी को एलर्जी होती है लेकिन सबको नही /
कई ऐसे मरीज मिले जिनके लीवर बढे हुये थे और उनको इसी कारण से एलर्जी हो रही थी
कुछ ऐसे मरीज मिले जिनको gall bladder मे पथरी होने या Gall bladder का inflammation होने या Gall Bladder मे sludge होने के कारण allergy पैदा हो रही थी /
बहुत से ऐसे मरीज मिले जो अन्ग्रेजी दवा खा रहे थे उसके कारण उनको एलर्जी हो रही थी इसे दवा का साइड प्रभाव कह सकते है /
कुछ विशेष तरह के खाना खाने के बाद आन्तो मे हो रहे chemical changes के कारण यह तकलीफे पैदा होती है ऐसा भी देखने मे आया है /
यह तो सब “त्वचा” के रोगो के लिये बताया गया है /
लेकिन कुछ खास तरह की एलर्जी होती है जो नाक और गले के MUCOUS SURFACE LININGS और फेफड़ो तथा गले से सम्बन्धित विकारो को जन्म देती है / इसमे तुरन्त पैदा होने वाले जुखाम और बहुत शीघ्रता से पैदा होने वाला ASTHMA यानी दमा का दौरा और जुखाम शामिल है /
जैसा मैने बताया है यह सब भी ALLERGY के कारण होते है और इनके पैदा होने के पीछे इसके कारण भी हैं /
यह एक तरह का लम्बा academic discussion है जिसे आयुर्वेद के साथ या आयुष चिकित्केसा विग्यान के सिध््धान्तो के साथ correlate करने का प्रयास किया जायेगा /
सभी तरह की एलर्जी जिनमे किसी तरह की VISCERAL प्रोब्लेम्स हो वे भी आयुर्वेदिक आयुष इलाज करने से ठीक हो जाती है /
आयुर्वेद की आधुनिक तकनीक ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन और इसके दूसरे supplementary परीक्षण आधारित इलाज करने से सभी तरह की एलर्जी ठीक होती है , वे चाहे त्वचा की allergy हो या श्वसन सन्स्थान Respiratory Organs की हो या ENT से related disorders हो /