भगवान धन्वन्तरि , जिनसे आयुर्वेद की उत्पत्ति हुयी /
आयुषमन
वैकल्पिक चिकित्सा विधियों के अलावा समन्वित चिकित्सा के साथ साथ, अन्य सभी प्रकार की चिकित्सा विधियों का ज्ञान बोध कराने का प्रयास इस ब्लाग के माध्यम से रहेगा ।
आयुषमन AYUSHMEN को इस प्रकार से समझा जा सकता है ।
A – for आयुर्वेद, आकूपन्क्चर, आकूप्रेशरचिकित्सा
Y – for योग चिकित्सा
U – for यूनानी चिकित्सा
S – for सिद्ध चिकित्सा
H- for होम्यापैथी चिकित्सा
M – for Magneto therapy मैग्नेट / चुम्बक चिकित्सा E – for Electrotherapy including physiotherapy विद्युत चिकित्सा के साथ साथ फिजियोथेरेपी चिकित्सा N – for Nature-cure प्राकृतिक चिकित्स
इलेक्ट्रोत्रिदोषग्राफी ई0टी0जी0 टेक्नोलांजी के उपयोग और प्रयोग के बारे में तकनीक के आविष्कारक डा0 देशबन्धु बाजपेयी को सुनिये ।
फोटो घृतकुमारी , घीकुवार, ग्वारपाठा English: Barbedols Aloe, Latin:Aloe Veraयह आयुर्वेदिक औषधि यकृत, रक्त विकार, प्लीहा, त्वचा के रोग, गांठ इत्यादि बीमारियों में प्रयोग की जाती है । .
आयुर्वेद , जिसे भारतीय चिकित्सा पद्यति भी कहते हैं, भारत भू खंड में विकसित लगभग 5000 वर्ष प्राचीन स्वास्थ्य से संबंधित विज्ञान है । यह वेदों से निकला हुआ ज्ञान है ,जिसे समय के अंतराल के साथ बाद में एक स्वतंत्र विज्ञान के स्वरूप में स्थिति हुआ ।
आजकल भले ही आयुर्वैद के चिकित्सक को डाक्टर शब्द से संबोधित किया जा रहा हो , लेकिन प्रचीन काल से प्रयोग किया जानें वाला शब्द वैद्य है , जो आज भी लोग प्रयोग करते हैं । वैद्य शब्द वेद और द्वय दो शब्दों से मिला हुआ शब्द है , जिसका शब्दिक अर्थ है दो वेद । अर्थात जो दो वेद जानते थे यानी एक , जो चार वेदों में से कोई एक मुख्य वेद जानने वाला है और दूसरा , स्वास्थ्य रक्षा से जुड़ा हुआ वेद, जिसे आयुर्वेद कहते हैं , को जाननें वाला है ।
फोटो: पत्थर चूर Latin : Bryophyllum . यह औषधि गुर्दे , यूरेटर, मूत्राशय की पथरी को पिघलाकर मूत्र के साथ बाहर निकाल देती है । गुर्दे की सभी प्रकार की बीमारियों में इसका उपयोग करते हैं ।
आयुर्वैद , भारतीय जीवन पद्धति का अंग
भारतीय जीवन दर्शन में प्राचीनकाल से धर्म, कर्म, अर्थ , काम , मोक्ष आदि आस्थाओं और विश्वासों पर विजय पानें और इस उद्देश्य को प्राप्त करनें के लिये सबसे जरूरी यह समझा गया कि पहले मानव शरीर की रक्षा की जाय । शरीर की रक्षा कैसे हो , क्या आहार, विहार अपनायें जांय जिससे शरीर स्वस्थ्य रहे और बीमारियों से दूर रहे । तभी जीवन के चरम उद्देश्य को पाया जा सकता है ।
मनीषियों नें मानव जीवन को जीवन्त बनानें के लिये चार आश्रमों में बांटा हैं ।
1- बालाश्रम 2- गृहस्थाश्रम 3- सन्यासाश्रम 4- वानप्रस्थाश्रम,
ये चारो आश्रम 25 – 25 वर्ष की आयु को विभाजित करके बनाये गये हैं । इस प्रकार से हमारे पूर्वजों नें मनुष्य की आयु 100 वर्ष की र्निधारित की है । उक्त आश्रमों में 25 वर्ष के अन्तराल में क्या क्या करना है, इसका वर्णन बताया गया है ।
फोटो केशराज Latin: Ecalypta Alba यह औषधि उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों, यकृतप्लीहा से संबंधित रोगों, सफेद दाग, सभी प्रकार के इन्फेक्शन इत्यादि को दूर करती हैं ।
आधुनिक आयुर्वेद
आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान को नष्ट करनें के लिये समय समय पर छोटे बड़े सभी प्रकार के प्रयास किये गये । सम्राट अशोक के जमानें में खून खराबा रोकनें के नाम पर आयुर्वेद का ‘’ शल्य चिकित्सा विज्ञान ‘’ सबसे अधिक प्रभावित हुआ । अपनें राज्य में सम्राट अशोक नें वध करनें , मार काट से संबंधित सभी कार्यों को रोक दिया । जिससे उस समय होंनें वाले समस्त ‘’शल्य चिकित्सा कार्य’’ बन्द हो गये । लेकिन इस प्रतिबन्ध के बाद रस चिकित्सा ने बहुत प्रगति की । महात्मा बुद्ध के कई योग्य शिष्यों ने कठिन और असाध्य रोंगों के उपचार के लिये बहुत सी नई औषधियों की खोज की, जिनमें नागार्जुन सबसे प्रमुख हैं । समय समय पर विदेशी आक्रान्ताओं के भारत पर आक्रमण करनें के कारण आयुर्वेद के मूल ग्रंथ आक्रान्ताओं द्वारा लूट लिये गये । मुगलों के आने के बाद तो स्थिति और खराब हो गयी । अंग्रेजों के आनें के बाद , यद्यपि आयुर्वेद को कोई विशेष प्रोत्साहन नहीं मिला , फिर भी इस समय के अन्तराल में आयुर्वेद जहां और जैसा था, यह स्थिर रहा । अंग्रेजों के समय में युरोपियन चिकित्सा का आगमन हुआ । जिसे एलोपैथी के नाम से सभी जानते और समझते हैं ।स्वतन्त्रता के पश्चात भारत सरकार ने धीरे धीरे और धीमीं गति से आयुर्वेद को विकास करनें हेतु प्रोत्साहन प्रदान किया है । शिक्षण, प्रशिक्षण, शोध, प्रचार, प्रसार, व्यावसायिक और गैर व्यावसायिक क्षेत्रों मे आयुर्वेद की विभिन्न शाखाओं मे उल्लेखनीय कार्य किये जा रहे हैं ।
आयुर्वेद हमें क्या शिक्षा देता है ?
आयुर्वेद हमें कई प्रकार की शिक्षा देता है । एक तो यह कि हमे वे कौन से नियम पालन करनें चाहिये, जिससे शरीर स्वस्थ्य रहे, शरीर की कार्य प्रणाली सुरक्षित रूप से काम करती रहे ताकि शरीर बीमार न हो । दूसरा , यदि किसी कारण से शरीर बीमार हो जाये, तो कौन सा उपचार करना चाहिये ताकि बीमार शरीर पुन: स्वास्थ्य प्राप्त कर ले । तीसरा यह हमें उन द्रव्यों के औषधीय गुण, कर्म के बारे में बताता है जो वनस्पति, प्राणिज, जान्तव , धात्विक या अन्य स्वरूप में प्रकृति में पाये जाते है । चौथा , यह खाद्य पदार्थों के गुण कर्मों के बारे में बताता है , जो परिवार मे खानें , पीनें , लगानें आदि में उपयोग करते हैं 1 पांचवां , यह मीमांसा दर्शन को दर्शाता है , जिसमें प्रकृति और पुरूष के सम्बन्ध की बात कही गयी है । धर्म , दर्शन, सदाचार, सामुदायिक हित आदि आदि के बारे में बहुत कुछ बताया गया है । इस प्रकार जहां आयुर्वेद एक तरफ चिकित्सा विज्ञान है , वहीं दूसरी तरफ यह पूर्ण एवं स्वस्थ्य जीवन प्राप्त करनें का साधन बताता है ।
हर्बल दर्द निवारक चाय , उत्तम कोटि की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का विशुद्ध मिश्रण है । यह चाय पीनें से सभी प्रकार के दर्द ठीक होते हैं । यह सूजन को कम करती है और हल्के बुखार को ठीक करती है ।
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निम्न वेब साइट आयुर्वेद , होम्योपैथी और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के विषयों से संबंधित है । इन्हें जन साघारण हिन्दी भाषा में भी प्रस्तुत किया गया है ।
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यह वेबसाइट आयुर्वेद के 5000 वर्षों के इतिहास मे साक्ष्य आधारित प्रस्तुति इलेक्ट्रो-त्रिदोष-ग्राफी की खोज के बारे में जानकारी देती है ।
यह वेब साइट होम्यापैथिक चिकित्सा विज्ञान को साक्ष्य आधारित चिकित्सा सिद्ध करनें की खोज से संबंधित जानकारी प्रदान करती है ।
http://electrohomoeography.wordpress.com
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यह वेब साइट इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी की नई खोज की गयी मशीन के बारे में जानकारी देती है ।
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‘’कन्या भ्रूण हत्या’’ , यह एक समस्या है जो सामाजिक और आर्थिक तानाबाना से जुड़ी हुयी है । लोग लड़कियों का गर्भपात क्यों कराना चाहते हैं, इस बारे में जानिये और समझिये ।
http://larakiyan.wordpress.com
डा0 देशबन्धु बाजपेई से ‘ आन लाइन कन्सल्टेशन ‘ के लिये , स्वास्थ्य और चिकित्सा से सम्बन्धित सभी प्रकार के प्रश्न , निम्न वेब साइट के ‘’ कमेंन्ट बाक्स ‘’ के द्वारा भेज सकते हैं । डा0 देश बन्धु बाजपेयी पिछले 40 वर्षों से एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेद के साथ साथ अन्प चिकित्सा विधियों का प्रयोग करके लाभ प्रदान कर रहे हैं । http://drdbbajpai.wordpress.com
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कृपया इन वेब साइट के बारे में दुंनिया के लोंगों का बतायें । ये सब तकनीकें एक भारतीय द्वारा ईजाद की गयीं हैं ।