३३ साल के एक विवाहित नवयुवक ने अपनी तकलीफ के लिये कुछ दिन पहले मेरी क्लीनिक मे आकर अपना परीक्षण कराया है /
इस नवयुवक के साथ जिस तरह खि समस्या है वह मै अपके साथ शेयर कर रहा हू /
यह नवयुवक तेलन्गाना राज्य से आया है / उस समय रात के आठ बज रहे थे और मै अपने काम मे व्यस्त था / यह युवक मेरी क्लीनिक मे आया और अपना परिचय दिया कि मै अभी अभी रेल से सफर करके आपके पास इलाज के, लिये आ रहा हूं / मैने बताया कि इस समय रात को किसी तरह का परीक्षण नही किये जाते है और सभी ई०टी०जी० परीक्शण सुबह किये जाते है जिनमे बीमारी की जान्च के हिसाब से समय लगता है / यह समय एक दिन से लेकर तीन अथवा चार दिन का हो सकता है /
मैने उसे आराम करने की सलाह दी और स्थानीय हॊटल मे जगह दिलाने लिये अपने अक सहयोगी को साथ मे भेज दिया /
बात आयी गयी हो गयी / सुबह मेरा सहयोगी मुझे जब मिला तो वह बहुत आग-बबूला होने लगा / उसने कहा कि रात को एक बजे तक वह उसे परेशान करता रहा और इस होटल से दूसरे होटल और तीसरे होटल और चौथे होटल का चक्कर लग वाता रहा , अन्त मे वह म्रीज को बीच मे ही छॊड़्कर वापस घर चला आया /
सुबह ९ बजे के लगभग मरीज जान्च कराने के लिये आया / जैसे जैसे जान्च होने लगी मुझे यह तो पता चल गया कि इसे मानसिक बीमारी है और इसके साथ साथ इसे शारीरिक भी तकलीफे है /
मानसिक बीमारी होने का शक मुझे तब पता चला जब वह टेस्ट करने के दरमियान रोकने के बाद भी बार बार करवट बदलने और बार बार पेशाब करने के लिये कहने लगा / मेरे डाटने और डपटने के बाद भी वह नही माना तो मै समझ गय कि यह सनकी मरीज है और इसे दिमाग की बीमारी है /
मरीज बताने लगा कि उसके अन्दर बाहर की घूम रही आत्माये उसके शरीर मे प्रवेश करती है , ये आतमाये उससे बाते करती है और यही आत्मायें उसको बताती है कि उसे क्या करना चाहिये / उसके शरीर मे घुस गयी आत्माये उसको आध्य्यात्म की शिक्षा देती है और उसको मानव जीवन का दर्शन पढाती है / ये आत्माये उसके शरीर मे घुस जाती है और प्रवेश करके उसको रात और दिन मे उसके मन को नियन्त्र्त कर लेती है और वह उसी प्रकार से काम करने लगता है जैसा कि ये आत्माये उसको गाइड करती है / उसने और भी बहुत सी बाते बतायी जैसे कि वह झाड़ फून्क वालो के पास गया / मौलवियो के पास गया / तान्त्रिको के पास गया और उनसे इन आत्माओ के बारे मे बताया कि के ये किस तरह से उसके शरीर मे प्रवेश करके उसको नियन्त्रित करती है /
ऐसे बहुत से रोगियो का इलाज पहले भी किया है और अभी भी कर रहा हू / मै समझ गया कि इसे कोई शारीरिक तकलीफ धीरे धीरे develop हुयी है जिसके कारण से इसे प्रेशानी हो रही है /
बहरहाल इसके परीक्षण किये गये और यह परिणाम निकाला गया कि इसे क्यो इस तरह की दिक्कत हो रही है ?
आयुर्वेदा थेर्मल स्कैनिन्ग और ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन परीक्षण और ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन कन्टीनुअस ट्रेस रिकार्डर द्वारा रिकार्ड किये गये लगभग दो घन्टे के परीक्षण करने के बाद और इसके साथ साथ आयुर्वेद रक्त परीक्षण और आयुर्वेद मूत्र परीक्षण और दूसरे परीक्षण करने के बाद जब निष्कर्ष निकाला ग्या कि इस रोगी को क्यो और किस तरह से तकलीफ पैदा हुयी और इस बीमारी के पैदा होने की असली वजह क्या है ??
यह जानना बहुत जरूरी है क्योकि अगर जड़ बुनियाद की बात रोगी के सम्बन्ध मे पहचानी जायगी तभी इलाज बहुत सटीक और अचूक होता है /
ऊपर gist सवरूप मे रोगी की तकलीफ के बारे मे nutshell diagnosis दी गयी है जिनका इलाज किया जाना है /
[१] इस मरीज का BLOOD PRESSURE सामन्य निकला जो ११३/७२ mm/hg था
[२] इस मरीज की PULS variation मे count की गयी / यह variation 76 puls per minute से लेकर 96 pulse per minute तक का निकला /
[३] इस मरीज का खून मे Oxygen level 96% निकला है
[४] इस मरीज का BODY FAT LEVEL सामन्य से अधिक निकला है यानी इसके शरीर मे चर्बी की मात्रा सामन्य मात्रा से अधिक निकली है /
उक्त डाटा को देखने से पता चलता है कि इस रोगी का FRONTAL BRAIN का हिस्सा बहुत उत्तेजित अवस्था का है / सामान्य स्तर पर इस हिस्से का लेवल 91 to 105 e.v. होता है / इस मरीज का यह लेवल ४२५ ई०वी० के आस्पास का है जो सामन्य से बहुत अधिक है / इसका मतलब है कि इस मरीज का फ्रन्टल ब्रेन का हिस्सा अति सक्रिय स्तर का है / इसीलिये इसे self control की faculties की कार्य विकृति के कारण भूत प्रेत और आत्माये नजर आती है / यानी इस्का Imagination बहुत अधिक है / इस स्तर के FRONTAL BRAIN की patho-physiology measurment से मश्तिष्क की कार्य शीलता का अत्यधिक होना बताता है कि इस रोगी का आत्म कन्ट्रोल बहुत कच्चे किस्म का है / यह भी पता चलता है कि रासायनिक समीकरण जो मस्तिष्क के अन्दर होते है वे भी कितने विकृति स्तिथि के है /
मष्तिष्क की अक और विकृति सामने आयी है कि इस रोगी का PAREITAL BRAIN और TEMPORAL BRAIN ये दोनो सामन्य से कम कार्य कर रहे है / दिमाग के इन दोनो हिस्सो का कार्य मश्तिष्क को सामन्य रूप से सक्रिय करने का है / सामान्य से कम होने की स्तिथि मे इन दोनो भागो की कार्य क्षमता प्रभावित होती है / उदाहरण के लिये pareital brain का काम शरीर का तप्मान बर्दाश्त करने की क्षमता बताता है / कम होने से मरीज को बहुत गर्मी लगती है जब दिन का तापमान अधिक होता है और यह क्ड़ी धूप मे बाहर निकलने से घबराता है / Temporal lobe का लेवेल कम होने से यह IMAGINATION और HOLLUCINATION को बढाता है / इस तरह के perception बढने से भूत प्रेत और आत्माओ की शरीर के अन्दर प्रविष्ट होने की थवा शरीर के अन्दर घुसने की कलपना बढती है और यह इसलिये control नही हो पाता क्योन्कि FRONTAL BRAIN की स्तिथि अति उत्तेजित अवस्था मे है /
मरीज को जब बताया कि उसकी SEXUAL DESIRE बहुत अधिक है और वह हर समय जैसा कि आनकड़े बताते है कि हर समय SEX के बारे मे सोचते है तो वह हसने लगा और पूछने लगा कि “आपको यह सब कैसे पता लगा , मुझे वास्तव मे हर समय से़ करने की इछ्छा होती है और मै बहुत शीघ्र किसी भी महिला को देखते ही उत्तेजि हो जाता हू”
मैने उसको reproductive organs का डाटा दिखाया जो ऊपर है, यह डाटा देखकर उसने कहा कि यह सब बिलकुल सही है और मेरी सेक्स से सम्बन्धित आपकी रिपोर्ट बिल्कुल सही है /
आयुर्वेद के त्रिदोष के हिसाब से इस मरीज का पित्त दोष बहुत प्रबल है / इसका शारीरिक बनावट और अन्य बाते “पित्त” दोष का निर्धारण कर रही है / ऊपर की डाटा शीट मे पित्त दोष 170 e.v. है जो सामन्य ९१ -१०५ ई०वी० के लेवल से बहुत अधिक है /
.त्रिदोषो की सन्निपातिक अवस्था के हिसाब से वात दोष सबसे अधिक है बाकी दोनो दोष यथा पित्त और कफ दोनो कमजोर स्तिथि के है /
रक्त की परीक्षा से पता चलता है कि इसका कफ दोष सामन्य से कम है /
नीचे की डाटा शीट मे बताया गया है कि किस प्रकार से रक्त की रासायनिक रचनाकिस तरह की उभर कर सामने आयी है / क्रियेटिन कम होने से इसके दिमाग और गुर्दे तथा नसो की खास तरह की चर्बी कम स्तर की है / मैग्नेशियन और अमोनिया का स्तर कम होने से इसे पाचन और पाचन तन्त्र की शिकायते है जैसे खट्टी डकारे आना , पेट मे गैस बनना, आन्तो की सूजन , पाखाना साफ न होना, कई कई बार पाखाना जाना, मल के साथ आंव आना आदि आदि दिक्कते है / कैल्सियम लेवल अधिक है क्योन्कि यह रोगी केल्सियम की गोलिया खा रहा है / आयोदीन कम लेवल का होने से इसका hormonal imbalance पैदा हो गया है / पोटैशियम और सोडियम लेवल कम होने से इसके दिमाग का कन्सन्ट्रेशन बिगड़ा हुआ है /
इस रोगी का फास्फेट और कापर [ताम्बा] का लेवल कम है जो यह बताता है कि इसका यकृत यानी लीवर विकार युक्त है / क्रियेटिन कम होने से यह पता चलता है कि लीवर चर्बी युक्त है / यह ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन और अन्य दूसरे परीक्षणो के रिजल्ट से मेल खाता है / अत: निदान यह कि इस मरीज का ळीवर बढा हुआ है / मरीज ने अपना Ultra Sound examination अपने शहर मे करा चुका है और उसने बताया कि अल्ट्रा साउन्ड परीक्षण मे उसका लीवर बढा हुआ बताया गया है /
E.T.G. AYURVEDASCAN की रिकार्ड की गयी उपरोक्त ट्रेस मे मरीज का BLOOD CIRCULATION सिर की ओर अधिक है / जिन व्यक्तियो मे सिर की ओर रक्त प्रवाह अधिक होता है , उनको दिमाग के तनाव की बीमारी अपने आप पैदा हो जाती है / लेकिन इस मरीज का TENSION LEVEL बहुत अधिक है /
“पित्त” स्थान की रिकार्डिन्ग से पता चलता है कि मरीज का लीवर चर्बी युक्त है और बढा हुआ है /
ऊपर की रिपोर्ट मे शरीर के channels का detail बताया गया है, कौन कौन से CHANNELS है जो विकृत अवस्था मे कार्य कर रहे है, यह समझना बहुत जरूरी है क्योन्कि चैनल जब तक सही सही काम नही करेन्गे , आरोग्य का शीघ्रता से प्राप्त करना कठिन कार्य है /
ऊपर की डाटा शीट मे दो CHANNELS विशेष रूप से विकृत अवस्था मे है , ऐसा उपस्तिथि है / पाण वह चैनल्स मे हृदय / मष्तिष्क / रक्त सन्चार की प्रमुखता है / सामान्य से अधिक होने के कारण यह चैनल विकृत अवस्था का पाया गया है /
स्वेद वह चैनल भी सामन्य् से अधिक है , यह चैनल चर्बी / स्वेद / बालो / सिर के बालो आदि के कार्यो से सम्बन्धित है / यह अधिक है / इस रोगी के सिर के बाल बहुत तेजी से गिर रहे है और सिर का गन्जापन बढ रहा है /
निष्कर्ष;
इस रोगी को सम्स्याओ का निदान सावधानी पूर्वक किया गया और इसे
[१] आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओ को सेवन करने के लिये PRESCRIPTION लिखकर दिया गया कि उसे कौन कौन सी आयुर्वेदिक द्वाये खानी है और किस समय खानी है /
[२] इस रोगी को पथ्य और परहेज और जीवन शैली तथा अन्य प्रकार के management के लिये exercises और अन्य उपाय बताये गये
[३] इसको क्या खाना है और क्या नही कहाना है इसके लिये पूरी फाइल दी गयी और follow करने की सलाह दी गयी
[४] अन्य हिदायते जो इसके रोगो से और अन्य प्रकार से सम्बन्धित थी वे बतायी गयी
जब इस तरह का COMPREHENSIVE MANAGEMENT तथा TREATMENT किया जाता है तो मानसिक
विकार के रोगी अवश्य ठीक होते है चाहे उनकी मानसिक बीमारी का कोई भी नाम दिया गया हो और वे कैसी भी स्तिथि के हो /
वास्तविकता यह है कि मानसिक बीमारियो के नाम केवल ACADEMIC उद्देश्य के लिये होते है जो DIFFERENTIAL DIAGNOSIS मे मदद करते है, लेकिन चिकित्सा मे इनका कोई विषेश महत्व नही होता है / क्योन्कि जुमला यही है कि infection चाहे UPPER RESPIRATORY TRACT का हो या LOWER RESPIRATORY TRACT का देना तो Tetracycline ही है /