यह केस एक एलोपैथी के ६० साल की उम्र के चिकित्सक का है, जिनको साढे चार साल पहले अगस्त, सन २००६ में “वाइरल डेन्गू बुखार” हुआ था / इनका कई माह तक एलोपैथी का इलाज चला, जिससे डेन्गू बुखार तो चला गया लेकिन जोड़ो और मान्स्पेशियों का दर्द तथा दूसरी शिकायतें बनी रही /
रक्त की जान्च करने पर पता चला कि इनके रक्त की प्लेट्लेट्स १५ हजार और हीमोग्लोबिन ६ मिलीग्राम प्रतिशत तक पहुन्च गया है / इस हालत में इनको रक्त चढवाना पड़ा और चिकित्सकों ने इनको ४० मिलीग्राम स्टेरायड प्रतिदिन लेते रहने के लिये कहा / लगभग चार साल से रक्त चढवाने और Steroid खाने का सिल्सिला चल रहा था / SGPGI, Lucknow मे तीन माह भर्ती रह कर इलाज करवाया लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हुआ /
किसी मरीज ने इन डाक्टर साहब को आयुर्वेद की नई आविष्कृत की गयी तकनीक ई०टी०जी० आयुर्वेदास्कैन के बारे मे बताया / दिनान्क ०६ अक्टूबर २०१० को यह चिकित्सक महोदय मेरे पास consultation के लिये आये / मैने उनसे कहा कि आपको एक ई०टी०जी० परीक्षण करना पड़ेगा तभी पता चल पायेगा कि आपके शरीर के अन्दर क्या गड़्बड़ी है /
उनका परीक्षण इसी दिन किया गया जिसमें निम्न फाइन्डिन्ग्स आयीं /
[१] त्रिदोष ; [समस्त पैरामीटर्स की सामान्य वैल्यू 95 e.v. से लेकर 99 e.v. तक]
कफ १३४.३१ ई०वी० प्रतिशत
पित्त १११.०९ ” ”
वात ६३.५६ ” ”
[२] त्रिदोष भेद ; [समस्त पैरामीटर्स की सामान्य वैल्यू 95 e.v. से लेकर 99 e.v. तक]
{सभी मान ई०वी० में e.v. means ETG value}
भ्राजक पित्त १४५.८७
लोचक पित्त १०४.८६
पाचक पित्त ८५.५५
साधक पित्त ८३.९४
अवलम्बन कफ ७८.०५
रन्जक पित्त ७६.१९
रसन कफ ७१.४४
उदान वात ६९.५९
श्लेष्मन कफ ६४.१७
व्यान वात ५९.२२
समान वात ४०.१५
[समस्त पैरामीटर्स की सामान्य वैल्यू 95 e.v. से लेकर 99 e.v. तक]
[3] सप्त धातुये ; [समस्त पैरामीटर्स की सामान्य वैल्यू 95 e.v. से लेकर 99 e.v. तक]
मेद १२२.१३
मान्स १२०.९३
रस ११४.८०
शुक्र १११.१३
मज्जा १०८.३४
रक्त १०५.८२
अस्थि १०४.५३
[४] शरीर में व्याप्त कार्य विकृति Pathophysiology और विकृति Pathology की उपस्तिथि की स्तिथियां [समस्त पैरामीटर्स की सामान्य वैल्यू 95 e.v. से लेकर 99 e.v. तक]
Autonomic Nervous system 157.14
Thoracic region/spine/cage 140.00
Body Fat 122.13
Liver/Pancrease/spleen 117.50
Metabolism 114.00
Blood Anomalies 105.80
Skin ailments 106.00
Thyroid pathophysiology 61.67
Spleen pathophysiology 60.00
Thymus pathophysiology 57.14
Liver pathophysiology 54.00
Epigastrium pathophysio 46.00
Abdomen/Intestines/colon 44.00
Prostate pathophysio 37.21
Intestines pathophysiology 35.56
[5] रोग निदान / Diagnosis of disease conditions
a- Blood anomaly
b- Bowel’s pathophysiology
c- Colon Inflammatory condition with swelling and hardness
d- Dull mental behaviour
e- Enlarged Liver with poor function
f- Hormonal anomalies
g- Pancreatic pathophysiology
h- Renal anomalies
i- Spleenomegaly ? Hepatospleenomegaly
j- Swelling in whole body
ई०टी० जी० आधारित रोग निर्धारण और औषधियों का चयन
रोगी जब परामर्श और चिकित्सा व्यवस्था के लिये आया तो ई०टी०जी० रिपोर्ट के आधार पर निष्कर्श निकाला गया कि इस रोगी को “कफ़ज पित्तज” व्याधि है / त्रिदोष भेद में यही बात सामने आयी /
सप्त धातुयें भी सामान्य से अधिक की ओर अपना झुकाव दर्शा रहीं है / इसका अर्थ यह निकला कि इस रोगी का मेटाबालिज्म की प्रक्रिया अधिक की ओर और तेज है / यह मरीज की Pathological condition को इन्गित कर रहा है /
इलेक्ट्रो त्रिदोष ग्राफी की पुरी रिपोर्ट का अध्ध्यन करने के पश्चात conclusion में तीन बातें समझ में आयी/
१- मरीज की आन्तों में सूजन है यानी Bowel’s Pathophysiology है /
२- यकृत और प्लीहा दोनों का बढा होना
३- रक्त की दुष्टि यानी Blood Anomaly
उक्त निष्कर्ष को ध्यान में रखते हुये इस मरीज को निम्न औषधियां prescribe की गयी /
अ- कुटज घन वटी १ गोली ; आन्तों की सूजन और विकृति के लिये
आरोग्य वर्धिनी वटी १ गोली ; यकृत प्लीहा के विकार के लिये
गन्धक रसायन १ गोली ; रक्त दुष्टि के लिये
सभी गोलियां एक साथ सुबह और शाम दिन में दो बार सादे पानी से खाने के लिये निर्देशित किया गया /
ब- सारिवद्यासव २५ मिलीलीटर बराबर पानी मिलाकर दोपहर और रात भोजन करने के बाद ; सप्त धातुओं की पुष्टि के लिये
रोगी से कहा गया कि वह इन सब दवाओं को लगातार ९० दिन तक सेवन करे , बाद मे प्रामर्श करे /
दिनान्क ०६ जनवरी २०११ को मरीज दिखाने आया / उसके सारे शरीर की सूजन एक्दम ठीक थी / मरीज रोजाना ४० मिलीग्राम steroid खाता था, वह अब उसने खाना बन्द कर दिया है , क्योंकि उसको steroid खाने की अब जरूरत नही लगी / उसका platelets count १५ हजार से बढ कर ८० हजार हो गया है, सामन्य तया शरीर में platelets की सन्ख्या रक्त में १ लाख पचास हजार से लेकर ४ लाख तक होती है / उसे बार बार हर पन्द्रह दिनों में रक्त चढवाना पड़्ता था, वह दो महीने से नही करना पड़ा / जो अन्य तकलीफें थी जैसे शरीर में फुन्सियां निकलना और शरीर में काले चकत्ते पड़ना, वह सब ठीक है /
चिकित्सक महोदय से मैने कहा कि आप अभि यही दवा खाते रहिये और मार्च २०११ में एक दूसरा ई०टी०जी० परीक्शण करा ले, उसके बाद जो भी फाइन्डिन्ग्स आयेंगी , तदनुसार दवा परिवर्तन कर दिया जायेगा /
Comments; आधुनिक चिकित्सा विग्यान में इस बीमारी के इलाज के लिये केवल Steroid दवा के अलावा अन्य कोई दूसरी दवा है ही नहीं / सभी को पता है कि Steroid का उपयोग शरीर के लिये कितना खतरनाक है / आयुर्वेद के इलाज के लिये ई०टी०जी० तकनीक आधारित चिकित्सा हमेशा फायदा देती है /